12 Jun 2018

मानसून के पहले आने की चर्चा


केरल में मानसून समय से पहले आ गया है। यहां समय से पहले आने वाले को कौतूहल भरी निगाहों से निहारते हैं। अक्सर लेट आने वाला सरकारी कर्मचारी यदि किसी दिवस निर्धारित समय से पहले आ जाए, तो चर्चा का विषय बन जाता है। यदि ट्रेन निर्धारित समय से पहले पहुंच जाए, तो चर्चा का विषय बन जाती है। हमारे यहां तो मेहमान तय वक्त से पहले आ जाए, तो बवाल हो जाता है। एक दिन पहले कहां से आ टपका! एक दिन पहले आना इतना अटपटा लगता है, जैसे दूधवाला महीने से पहले पैसे मांगने आ गया हो। मानसून के पहले आने की चर्चा 

मौसम विभाग के मुताबिक, मानसून तीन दिन पहले आ गया। यहां तीन दिन पहले आना तो चर्चित विषय बन जाता है। बादलों तक को खबर हो जाती है। अबकी बार धरावासियों को उस नेता की तरह बेवकूफ बनाना मुश्किल है, जो चुनाव में बादलों की तरह गरजता तो खूब है, पर जीतने के बाद पांच साल में बरसता एक बूंद भी नहीं है। अबकी बार गरजने से पार नहीं पड़ेगी, बरसना पड़ेगा।
लेकिन मानसून जल्दी क्यों आ रहा है? सोचा, इसका जवाब मानसून से ही क्यों न पूछा जाए? बरसते हुए मानसून से ही पूछा- अबकी समय से पहले कैसे?
आप भी क्या पूछ रहे हो? पूछने वाली बात पूछिए। यह सुनकर मैं एक बार तो ठिठक गया। मैंने अपने आप से पूछा- कहीं मानसून को डिस्टर्ब तो नहीं कर दिया?
मैं बोला- पूछने वाली बात ही पूछी है। इस पर वह हंसने लगा। फिर गंभीर होते हुए बोला- धरावासियों की यही तो प्रॉब्लम है। समय से पहले आ जाएं, तो सवाल पूछते हैं, और लेट हो जाएं, तो जी भर कोसते हैं।.
मेरे मुंह से निकल गया। आप वक्त पर आ जाया करें। सवाल पूछने का और कोसने का सवाल ही नहीं रहेगा। यह सुनकर वह कुपित होते हुए बोला- पहले अपने गिरेबान में झांककर देखो। खुद वक्त के कितने पाबंद हो? कभी टाइम से कोई काम किया भी है? .मोहनलाल मौर्य.

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