इस मुल्क
में फ्री कुछ मिले ना मिले लेकिन ‘राय’ अवश्य मिल जाती है।
यहाँ ‘राय’ देने वाले रायचँदो की कमी
नहीं हैं। ये तो राह चलते राहगीर को भी राय दे देते हैं। फिर चाहे इनकी ‘राय’ में ‘राई’ भर भी राय नहीं हो। सबसे बड़ी बात तो यह है कि
इन रायचँदो की हैड़ ऑफिस या कोई ब्रांच ऑफिस नहीं होता हैं। और ना ही इन तक पहुंचने के लिए गूगल मैप
की जरूरत हैं। ये तो हर नुक्कड़,गली,मोहल्ले,में अहर्निश विराजमान हैं। बस इन्हें तो एक
बार सेवा का मौका भर मिल जाए।ये तो खुद मौके की तलाश में रहते हैं। ये हम-आपकी तरह
नहीं हैं,जो मौका मिलने पर भी छोड़ देते हैं। ये तो मौके का
भरपूर फायदा उठाते हैं तथा मौका-ए-वारदात पर ही राय का रायता फैला देते हैं।
राय के रायचँद
ऐसा नहीं
कि जमाने के चलन के मुताबिक सोशल मीडिया पर आप-हम ही सक्रिय नहीं हैं। रायचँद भी
ऑनलाइन उपलब्ध हैं। यहाँ भी यह ऑनलाइन रायचँद हैं। हालांकि सोशल मीडिया पर इनकी
राय की पब्लिक पोस्ट एक के बाद एक आती-जाती रहती हैं। कुछ तो कुछेक लाइक,कमेंट लेकर चलती बनती हैं तो कुछ लाइक,कमेंट के बाद
भी इतराती रहती हैं। इनकी भी अपनी-अपनी किस्मत हैं। फेसबुक पर रायचँद नित्य ‘राय’ की एक
अलहदा राय के साथ आते हैं और देर रात तक ऑनलाइन उपलब्ध रहते हैं। वाट्सएप पर तो
ये गुड मॉर्निंग,गुड आफ्टरनून,गुड़
इवनिंग,गुड़ नाइट भी किसी ना किसी तरह की राय के साथ ही करते
हैं। इंस्टाग्राम पर तो इनकी बात ही निराली हैं। यहाँ इनकी कोई राय माने या ना
माने इनको तो बतानी है तो बताते हैं। ये तो इत्ते शातिर है कि टि्वटर पर उसकी तय
शब्द सीमा में भी घुसकर अपनी राय का ढिंढोरा पीटते रहते हैं।
अगर हमारे देश में रायचँद
नहीं हो तो यह मानों देश ही नहीं चले। देश की तो छोड़ों। अपना घर ही नहीं चले।
आप मानों या ना मानों,आज अपना घर या देश चल रहा हैं ना तो
रायचँदों की वजह से चला रहा हैं। किसी ओर कि तो कह नहीं सकता पर हमारे रायचँद की राय सर्वमान्य है। सर्वप्रिय है। यह अलग बात है कि उसकी
राय में राय कम राय का फैलाव इस कान से उस कान तक होता है।
अच्छा कुछ रायचँद तो राय
देते-देते इत्ते एक्सपर्ट हो जाते हैं कि रायचँद से सलाहकार बन जाते हैं।
सलाहकार बनने के बाद ये ‘राय’ नहीं, ‘सलाह’ देते हैं। वह भी शुल्क लेकर। इस भ्रम में मत
रहना कि रायचँद से बने सलाहकार,सलाह के साथ उस राय के अच्छे-बुरे परिणाम में ‘साथ’ भी देते हैं। ये सलाह तो दे देते हैं लेकिन 'साथ' कभी नहीं देते। इनकी दी गई सलाह से चाहे सुलह
हो या विद्रोह हो। चाहे घोटाला हो या मोटापा हो। चाहे भ्रष्टाचार हो या कोई
बेरोजगार हो। किसी पर अत्याचार हो। चाहे महँगाई की मार हो या चाहे बीमार हो। इन्हें
तो दी गई सलाह की शुल्क से मतलब हैं। शुल्क है तो सलाह है। इनके यहाँ निःशुल्क
तो अभिवादन भी नहीं हैं। शुल्क से तो आप इनके सीलिंग फैन की हवा भी ले सकते हो।
एक गिलास पानी भी पी सकते हो।
बात रायचँदों की राय की हो
रही थी तो उसी पर आते हैं। दरअसल रायचँद मानव के जन्म से लेकर मृत्यु तक राय
देते हैं। इसमें कोई दोहराय नहीं हैं। बच्चा गर्भ में होता है तभी से दाई-माई
दस तरह की राय इस तरह से देने लगती हैं जिन्हें सुनकर बच्चे कि माँ कन्फ्यूज हो
जाती है। किस की राय माननी चाहिए और किसी को इग्नोर किया जाए। कुछ इसी तरह व्यक्ति के मृत्यु के उपरांत होता हैं । रायचँद चिता पर
लेटे हुए मुर्दे को फूँकने की भी दस तरह की राय देने लगते हैं। उस वक्त मुखाग्नि
देने वाला कन्फ्यूज हो जाता हैं और कन्फ्यूजन में मुख के बजाय पैरों की ओर
मुखाग्नि दे देता हैं।
वैसे हमारे मुल्क में तकरीबन
रायचँद तो हम-सभी हैं लेकिन यहां रायचँदों के वेश में छलचँदों की भी कमी नहीं हैं।
ये चँद चालाक छलचँद ही समाज के नाम पर समाजचँद,जाति के नाम पर जातिचँद, धर्म के नाम पर धर्मचँद, इंसानियत के नाम पर
हैवानचँद, बनकर बैठ हैं। इन चँदों की तो राय ही नहीं,
परछाई भी खतरे से कम नहीं। ये तो ऐसा दिग्भ्रमित करते हैं कि जिसके
दिमाग में जंग लगी होती है वह भी इनकी राय की राह पर चलने को आतुर हो जाता हैं।
इसलिए भाईयों,बहनों,देवियों,सज्जनों आपसे अपील है...। बस अपील है....। बाकी आपकी मर्जी।
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