12 Jun 2022

भक्त की तलाश

भजनी ने चेले-चाटी परखकर देख लिए। चमचे भी आज़मा लिए। अब भक्त रखना चाहता है। उसका कहना है कि चेले और चमचे में भक्त ही अग्रगामी है। बलशाली है। आज्ञाकारी है। परोपकारी है। आभारी है। झूठ को सच और सच को झूठ मानने वाला प्राणी है। और इन दिनों चेलों और चमचों से ज्यादा सुर्खियाँ बटोर रहे हैं।

लेकिन भजनी को भक्त ढूँढे नहीं मिल रहा। जबकि उसको भक्त या उसके जैसे लोगों की सख्त जरूरत है। लग रहा है कि अगर भजनी को वक्त रहते  भक्त नहीं मिला,तो उसकी जमानत ज़ब्त हो जाएगी। ज़ब्त हो गई,तो उसका रक्तचाप बढ़ जाएगा। बढ़ गया,तो उसे आग बबूला होने से कोई रोक नहीं सकता। और उस दौरान वह कब सातवें आसमान पर पहुँच जाता हैउसे पता ही नहीं रहता है। पहुँचने के बाद आपा खो बैठता है। बैठने के बाद उसके मुख से न जाने क्या-क्या निकल जाता है। जिन्हें सुनकर लोग भड़क जाते हैं। भीड़-भड़क्का हो जाता है। हाहाकार से गगन  गुंजायमान हो उठता है। कई बार तो ब्रेकिंग न्यूज़ तक बन जाती है। जिसे देखकर लोग सड़क पर उतर आते हैं। माफी माँगने पर विवश करते हैं। और कई बार माँगनी भी पड़ जाती हैं।

यह सब घटित नहीं हो इसीलिए भजनी भक्त की तलाश में है। उसका मानना है कि ऐसे वक्त पर भक्त ही काम आता है। वही है,जो कि घटना घटित होने से पहले ही बता देता है। उसने बताया कि भक्त इतना सशक्त होता है कि अपना रक्त बहाने से भी नहीं घबराता है। जबकि चेले और चमचे रक्तदान करने से ही हिचकिचाते हैं। आजकल के चेले तो केले की तरह हो गई हैं,जो कि पकने से पहले ही बिकने के लिए बाजार में आ जाते हैं। चमचे फटे-पुराने गमछे की तरह हो गए हैं,जो कि किसी कामकाज के नहीं हैं । 

भजनी का कहना है कि मुझे ऐसा भक्त चाहिए,जिसके नेता पर कीचड़ उछालने पर,भक्त दलदल में फंसा हुआ भी उसके लिए मरने-मारने पर उतारू हो जाता है। उसकी अनुपस्थिति में भी उसकी जय-जयकार करता रहता है। जिंदाबाद के नारे लगाकर जिंदा रखे रखता है। अपने नेता को नेता नहीं,देवता समझता है। विकास पुरुष कहकर संबोधित करता है। अपनी बात पर अडिग रहता है। अकड़ने पर अड़ियल बनते देर नहीं करता है। विरोधियों के सामने सीना तानकर डटे रहता है। उनके सवाल का जवाब न देकर,उन्हीं से सवाल करने में माहिर होता है। विपत्ति में भी आपत्ति नहीं करता है। सदैव प्रसन्न रहता है।

भजनी का तो यह तक कहना है कि जिस दिन मुझे इस तरह का भक्त मिल गया न जगत से लड़ने की जरूरत नहीं। फिर जगत से भिड़ने के लिए भक्त ही काफी है। वही कार्यों में खामियाँ निकालने वालों को ख़ामोश करेगा। आरोप-प्रत्यारोप लगाने वालों को सबक सिखाएगा। सलाखों के पीछे धकेलेगा। धरना-प्रदर्शन करेगा। पुतला फूंकेगा। सोशल मीडिया पर भड़ास निकालेगा। अखबार की हेडलाइन और टीवी की ब्रेकिंग न्यूज़ बनने पर बौखलाएगा।

लेकिन भजनी को किसी ने बताया है कि भक्त मिलता नहीं है,बल्कि बनता है और वह भी बनाने से नहीं,अपने आप बन लेता है। जब भजनी ने बताने वाले से पूछा कि अपने आप कैसे बनता हैतो बताने वाले ने बताया कि आँखों में धूल झोंक करजनता को सपने दिखा। मन की बात कर,मगर अपने मन की मत बता। अपने आपको फकीर कह,पर रहे राजा की तरह। लोक लुभावने वायदे कर,किंतु पूरे मत कर। जहां कहीं भी जाए,वहीं बाहें फैलाकर लोगों को गले लगा। और इतनी झूठ बोल कि लोग तुझे एक नंबर का झूठा कहने लग जाए। फिर देखिए,व्यक्ति भक्त नहीं,अंधभक्त बन जाएगा। एक बार जो अंधभक्त बन गया न फिर वह आँख मूंदकर विश्वास नहीं करें तो कहना। तू जो कहेगा और जो करेगा,उसे ही सही कहेगा। तेरे को कोई गलत साबित करने की कोशिश भी करेगा तो वह कतई सहन नहीं करेगा। विरोध करेगा। उसने भजनी को जो भी बातें बताई है नउन पर मंथन जारी है।

मोहनलाल मौर्य 

 


No comments: