प्लीज और सॉरी
महज दो शब्द ही नहीं है,बल्कि जीवन पथ पर सदैव साथ निभाने वाले सहायक हैं। इन
दोनों शब्दों को बोलकर खलनायक भी नायक बन जाता है। कई बार इनके उच्चारण मात्र से
ही घर-परिवार,समाज और देश की बहुत सी समस्याओं का समाधान हो जाता है।
प्लीज और सॉरी
कोई क्लिष्ट शब्द नहीं है,बल्कि ये तो सहज और सरल शब्द है। जिन्हें कोई भी,कभी भी
बोल सकता है,जरूरी नहीं जिनको इंग्लिश आती हैं,वही बोल सकते हैं,इनको तो अनपढ़ भी
आसानी से बोल सकते हैं। सब जानते हैं कि हिंदी में प्लीज का अर्थ कृपया और सॉरी का
क्षमा होता है। मगर कृपया और क्षमा बोलने पर प्लीज और सॉरी जैसी अनुभूति नहीं हो
पाती है। इन दोनों शब्दों
को बोलने में न हींग लगती है,न फिटकिरी। रंग चोखा आता है। फिर बोलने से परहेज
क्यों?
जो लोग इस
गलतफहमी में रहते हैं कि प्लीज और सॉरी बोलने से उनका कद घट जाएगा,तो मैं उन्हें
बता दूं कि इन दोनों शब्दों को बोलने से कद घटता नहीं,बल्कि बढ़ता है। एक बार
बोलने से काम नहीं बन रहा हो तो बार-बार बोलिए और फिर कमाल देखिए। चमत्कार जैसा
महसूस नहीं हो तो कहना। एक बार चमत्कार हो गया,तो फिर प्लीज और सॉरी बोलकर नित्य
नए-नए अविष्कार किए बगैर नहीं रहेंगे। यह मैं नहीं,मेरा तजुर्बा कह रहा है।
प्लीज और सॉरी
ऐसे शब्द है,जिन्हें बोलकर पोल
खोलने वाले का भी मुँह बंद कर सकते हैं। दुश्मन को दोस्त बना सकते हैं। आपसी
मनमुटाव दूर कर सकते हैं। टूटे रिश्ते जोड़ सकते हैं। कलह को सुलह में बदल सकते
हैं। सातवें आसमान पर चढ़े गुस्से को उतार सकते हैं। पत्थर दिल को पिघला सकते हैं।
रूठे को मना सकते हैं। झूठे से सच बुलवा सकते हैं। दूध का दूध और पानी का पानी
करवा सकते हैं। मुश्किल और देरी से होने वाले काम आसानी से करवा सकते हैं।
डांट-फटकार की जगह सत्कार पा सकते हैं।
लोग प्लीज और
सॉरी बोलकर तो बात का बतंगड़ और राई का पहाड़ बनाने वालों को भी ऐसा करने से रोक
देते हैं। मौके पर चौका मारने वालों को मारने नहीं देते हैं। अकड़कर चलने वालों को
झुका देते हैं। बात-बात में मीनमेख निकालने वालों को ऐसा करना बंद करवा देते हैं। हठधर्मियों का हठ हटा देते हैं। हर कार्य
को झटपट करने वालों को आहिस्ता-आहिस्ता से करने पर विवश कर देते हैं। लोक निंदा
करने वालों से प्रशंसा करवा लेते हैं। आरोप-प्रत्यारोप लगाने वालों को लगाने से
रोक देते हैं।
जो इन दोनों
शब्दों को बोलने में बिल्कुल भी नहीं हिचकिचाहते हैं,वो गलती करके भी नहीं पछताते हैं। क्योंकि उनके
पास प्लीज और सॉरी जैसे सशक्त हथियार हैं,जिनके जरिए,वे कोई भी दरिया पार कर सकते हैं। हर उस मुश्किल घड़ी की सुई को तेज कर सकते
हैं जो धीमी चलती है। कई तो प्लीज और सॉरी के बल पर ही
अपना कारोबार चला रहे हैं और खूब कमा रहे हैं।
मोहनलाल
मौर्य
Please and Sorry are not just two words
Please and Sorry are not just two words, but are always helpful to follow along on the path of life. By speaking both these words the villain also becomes a hero. Many times, many of the problems of home, family, society and country are solved by mere pronunciation.
Please and sorry is not a word, but it is a simple and easy word. Whomever can speak anytime, not necessarily those who know English, they can speak it, even illiterate can speak it easily. Everyone knows that please in Hindi means please and sorry for sorry. But please and forgiveness, there is no feeling like please and sorry. It does not take asafetida or alum to speak these two words. Color comes sharpened. Why then refrain from speaking ?
Those who live in the misconception that speaking and sorry will decrease their stature, then let me tell them that speaking these two words does not decrease their stature, but increases. Once speaking is not going to work, then speak again and again and watch it. If you do not feel like a miracle, say it. Once a miracle has happened, then please speak and sorry and will not live without constantly innovating. It is not me, my experience is saying.
Please and sorry are such words , which can also be silenced by the person speaking the pole. The enemy can be made friends. Can overcome mutual estrangement. Broken relationships can add up. Can turn discord into reconciliation. Climbing the seventh sky can vent anger. Stones can melt the heart. Can celebrate anger. Can call the truth from a liar. You can get milk of milk and water of water. Difficult and late work can be easily done. You can get hospitality instead of scolding.
People, by speaking please and sorry, also prevent those who make a talk and mountain of rye from doing so. The fours on the spot do not let those who kill. Swingers tend to tilt those who walk. In conversation, the people who make Meenmakh are stopped. Remove the persistence of dogma. They force everyone to do the work quickly and slowly. People get praise from condemners. Accusations prevent the imposters from applying.
Those who do not hesitate to speak these two words , they do not regret even by mistake. Because they have strong weapons like please and sorry, through which they can cross any river. You can sharpen every difficult clock needle that runs slow. Many are running their own business on the strength of please and sorry and are earning a lot.
Mohanlal maurya
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