अप्रैल फूल का रोमांच
एक अप्रैल यानी अप्रैल
फूल डे। मूर्ख बनने बनाने का डे। इस दिन लोग मूर्ख बनाने के नये-नये तरीके अपनाते
हैं। कैसे मूर्ख बनाएं?किसको बनाएं?के लिए आइडिया खोजते है। वे सब हथकंडे अपनाते है,जिससे मूर्ख बनाया जाए।
मूर्ख बनाने का सशक्त हथिहार है,झूठ। आज के युग में कौन झूठ बोल रहा और कौन सच?यह परखना जरा मुश्किल
है। झूठ सच लगता है और सच झूठ। जिंदगी झूठ सच के भूलभूलया में उलझी हुई है। जब से
मोबाइल का प्रचलन बढ़ा है,तब से झूठ ने चार गुणा बढ़ोत्तरी कर ली है। मोबाइल पर तो ज्ञानी से
ज्ञानी भी मूर्ख बन जाता है। बीस किलोमीटर दूर बैठा व्यक्ति भी मोबाइल पर यहीं
कहता है। दो मिनट में आ रहा हूं। पांच मिनट में पहुंच रहा हूं। नजदीक ही हंू।
इत्ती स्पीड़ तो हवाई जहाज की नहीं होती जित्ती इन दो,पांच मिनट वालों की होती
है। झूठ हम बोलते है,बदनाम मोबाइल हो रहा है।अक्सर लोग कहते है,मोबाइल झूठ बोलता है।
बोलवाता है। जबकि इंसान
झूठ बोलने में महारथी
है। झूठ बोलकर हम मूर्ख बना भी देते हैं एवं बन भी जाते हैं। झूठ कि बुनियाद पर तो
हम महल खड़ा कर देते है। जिसे देख सच कि इमारत भी ध्वस्त हो जाती है। आधुनिकता में
झूठ में तो वह सामथ्र्य है कि वह लोमड़ी को भी गर्दभ बना देती है। वरना लोमड़ी को
मूर्ख बनाना टेड़ी खीर है। झूठ के बल पर तो कईयों की रोजी-रोटी चल रही हैं।
कारोबार चल रहा है। कुरसी टिकी हुई है। प्रेम-प्रसंग बना हुआ है। न जाने झूठ पर
कैसे-कैसे पुष्प खिल रहे हैं?खिला रहे हैं।सींच रहे है। कई तो झूठ बोलने में इत्ते पारंगत है कि
आटे में नमक नहीं,बल्कि नमक में आटा मिला रहे हैं। झूठ तो लोगों की रग-रग में भरा
पड़ा है। हमारे नेताजी का तो ब्लड गु्रप ही झूठ पॉजिटिव है। इनका तो कारोबार ही
झूठ के बल पर फल-फूल रहा है। हमारे नेताजी राष्ट्रीय नेता तो है नहीं,जो झूठ नहीं बोलेंगे।
मूर्ख बनाने के लिए झूठ तो बोलना ही पड़ता है। तबी बंदा अप्रैल फूल बनता है। जो
झूठ बोलने में पारंगत है,वह मूर्ख बना देता है और जो पारंगत नहीं है,वह मूर्ख बन जाता है।
अलबत्ता हम फस्र्ट अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाते है। किंतु रोजमर्रा की जिंदगी में
नित्य हमें कोई ना कोई मूर्ख बनाता है। हम बनते है। बनाते है। दूधवाला दूध में
पानी मिलावट कर मूर्ख बना रहा है। सब्जी वाला सड़ी-गली सब्जी पेल कर मूर्ख बना रहा
है। परचून वाला कंकड़ मिलाकर मूर्ख बना रहा है। कोई नाप-तौल,मोल-भाव में उलझा कर
मूर्ख बना रहा है। पेट्रोल-डीजल के घटते-बढ़ते दाम मूर्ख बना रहे हैं। अपनी ओर
आकर्षित करते विज्ञापन मूर्ख बना रहे हैं। सांवली त्वचा को गोरी करने वाली क्रीम व
सफेद बालों को काला करने वाला तेल मूर्ख बना रहा है। अच्छे दिनों का सपना। बैंक
खातों में लाखों रूपए आना। जुमला। आदि-इत्यादि मूर्ख बना रहें हैं। अप्रैल फूल बनाने
के लिए,झूठ बोलना ही पड़ता है।
वरना बंदा अप्रैल फूल कैसे बनेंगा? फस्र्ट अप्रैल को,जो मूर्ख नहीं बनाया,वह बंदा ही क्या?इस दिन तो,जो मूर्ख बनाए वहीं सिकंदर है।
No comments:
Post a Comment