आधुनिकता में घर बैठे
समस्या का समाधान काफी लोकप्रिय हो रहा है। सबको घर बैठे बिठाएं समाधान चाहिए। भले
खर्चा चाहे दुगना हो जाए। पर समस्या का समाधान घर बैठे होना चाहिए। राजमर्रा की
जिंदगी में इंसान विविध समस्याओं से लड़ता है। कभी जीतता है,तो कभी हारता है। इस
हार-जीत से छूटकारा पाने के लिए,वह घर बैठे समाधान चाहता है। आज कल घर बैठे समाधान करने वाले भी,जगह-जगह शॉप खोले बैठे
हैं। कुछेक टीवी पर छाए हुए हैं। कुछेक अखबार के क्लासीफाइड में अंकित रहते हैं।
घर बैठे,पार्ट टाईम,फुलटाईम,एसएमएस करके कमाएं दस से
बीस हजार रूपए महीना। बस आपके पास स्माटफोन और लैपटॉप होना चाहिए। इंटरनेट होना
चाहिए। बैटरी फुल रहनी चाहिए। तो देर किस बात की। जुड़े हमारी कम्पनी से और कमाएं
हजारों रूपया महीना। शुभ अवसर का लाभ उठाए। और कुछ इस तरह के होते है। गृह-क्लेश,आपसी मनमुटाव,पति-पत्नी में अनबन,आदि घर समस्याओं का घर
बैठे समाधान। श्रीश्री गुरुजी द्वारा तैयार किया रक्षा कवच मंगवाए। उसे पहनिए और
समस्याओं से छूटकारा पाए। ऐसे एड बार-बार टीवी स्क्रीन पर आते है तो लोग उसे ललचाई
निगाहों से देखते हैं।उनके मन में वैसी ही लालसा पैदा होने लगती हैं। यह लोग शर्त
ओर रख देते हैं। समस्या का समाधान नहीं होतो पूरे पैसे वापस। तो फिर देर किस बात
की। अभी टीवी स्क्रीन पर दिए गए नम्बर पर फोन लगाएं। हमारा प्रोडेक्ट ऑडर कीजिए।
मेरे चाचाजी कई दिनों से
किसी आंतरिक समस्या से जूझ रहे थे। कहते है ना परेशान हुआ क्या नहीं करता?चाचाजी ने लगा दिया
फोन।कर दिया ऑडर। एक वीक उपरांत आया गया पार्सल। देखे पार्सल चाचाजी बंदर की तरह
उछलने लगे। ऐसा लग रहा था जैसे चाचाजी के हाथ संजीवनी बूटी लग गई हो। चाचाजी ने
ज्यों ही पार्सल खुला। पार्सल में घास-पूस और एक चिट्टी थी। जिस पर लिखा था। अपनी
समस्या का समाधान स्वयं करें। पढ़कर चाचाजी के होश उठ गए। आंखे फटी की फटी रह गई।
अपना सिर पिटने लगे। मैंने कहा-'चाचाजी! ऐसा करने से अब कुछ नहीं होगा।Ó चाचाजी बोले,' अब क्या करू बेटा?Óमैंने कहा,'अब करने से कुछ नहीं
होगा। यह कमार खाने का धन्धा है,उनका। ऐसे समाधान होने लगे तो पता है न आपको देश में कित्ती
समस्याएं है। गिनाने लगे तो सुबह से शाम हो जाएंगी। लेकिन समस्याएं पूरी नहीं
होंगी। ऐसे समाधान होते तो हमें पाकिस्तान से लडऩे की जरूरत ही नहीं। टोल फ्री
हेल्प लाइन से जनमानस की समस्याओं का समाधान नहीं होता। चार बार फोन लगाओं,तब तो लगाता है। वह भी
घंटे भर में। जब तक पूरी जन्म कूण्ड़ली नहीं जाने लेंगे। तब तक शिकायत दर्ज नहीं
करते। अन्त में कहेंगे-जल्द ही आपकी समस्या का समाधान हो जाएंगा। आपका दिन मंगल
में हो। समस्याओं का ऐसे समाधान होने लगा तो मुल्क में भ्रष्टाचार,महंगाई,ऐसे खुलेआम नहीं घूमती।
अब तक तो नकेल कस जाती।
Ó चाचाजी बोले,'बेटे मेरे तीन हजार रूपए
का क्या होगा?Óमैंने चाचाजी को
सांत्वना देते हुए कहा,'तीन हजार रूपए को भूल जाओं। जिस तरह श्मशान में गई हुई लकड़ी वापस
नहीं आती। उसी तरह उनके पास गए हुए पैसे वापस नहीं आते।Ó
यह सुनकर चाचाजी कोध्रित
हो गई और बोले,'ऐसे कैसे भूल जाए?खून-पसीने की कमाई थी।Óमैंने कहा,'अब कुछ नहीं होगा। उनका
रोज का काम है। वे खून-पसीना नहीं देखते। रोकड़ी देखते है।Ó यह सुनकर चाचाजी
निरूत्तर हो गए।
मैं भी एक बार झांसे में
आ गए था। हमारे घर पर चूहों ने हमला बोल दिया था। उन्हें सबक सीखाने निकले था। खुद
सबक सीखकर आ गया। हुआ यूं कि एक व्यक्ति चूहे मारने की दवा बेच रहा था। मैंने उससे
पूरे दस पैक्ट खरीदे। घर आकर खोले तो हर पैक्ट में एक ही बात लिखी हुई थी। चूहे
पकडय़े और मारये। यहीं एक मात्र समाधान है चूहे मारने का। तब से मैं तो इन
समस्याओं के झमेले में पड़ता नहीं। अपनी समस्या से खुद ही निपटता हूं।आप भी ऐसे
समाधानों से दूर रहेंगे तो बेहतर है।
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