इन दिनों मोहल्लेवासी जलसंकट से जूझ रहे
हैं। मानसून कब आएंगा पूछ रहे हैं? मोहल्ले में सुबह-शाम पानी का टैंकर आता है। इसलिए मोहल्लेवासी
घंटों पूर्व कतार लगाए बैठे रहते है। बैठे-ठाले सामाजिक,आर्थिक,राजनीतिक,सह ित विविध मुद्दों पर तर्क-वितर्क कर लेते हैं।
तर्क-वितर्क मौखिक ही नहीं। हाथापाई से भी करते है। मटकियों की आहूति भी देनी पड़
जाती हैं। जलपात्र भी शहीद हो जाते है। जैसे ही पानी का टैंकर आया।
धक्का-मुक्की शुरू। मैं पहले भरूगा। इस चक्कर में कतार में लगे,आगे वाले पीछे और
पीछे वाले आगे आ जाते हैं।
कई बार तो कतार ही
टूट जाती है। नम्बर-वम्बर गायब हो जाता है। तू-तू,मैं-मैं,शुरू हो जाती है। आधा टैंकर तो लडऩे-झगडऩे
में ही खाली हो जाता है। बाकी बचा जल,वे ले जाते हैं। जिनकी भुजाओं में जान होती हैं। कोहनी मारने
में माहिर होते हैं। जो कभी कतार में नहीं लगते। यह तो मौके की ताक में रहते हैं।
अवसर मिलते ही लाभ उठा लेते हैं। कतार में लगने के लिए। काफी मशक्कत करनी पड़ती
है। पहले आओं। घंटों तक बैठों रहो। अपनी बारी का इंतजार करों। किसी कारण वंश कतार
से बाहर हो गए,तो सबसे पीछे जाकर बैठों। धक्का-मुक्की,लड़ाई-झगड़ा भी करना
पड़ता है। कतार में लगने वालों को सर्वाधिक पानी चाहिए। इसलिए वे सारे घर के
बर्तन-भांड़े लेकर आ जाते हैं। जब पानी का टैंकर आता है,तो बावले हो जाते
हैं। लोग तो पानी भरने में लगे रहते हैं। यह बर्तन ढूंढऩे लगे रहते हैं।
जब तक इनके बर्तन
मिलते है। तब तक टैंकर खाली हो लेता है। फिर यह भला-बुरा कहने लग जाते है। ऐसा
करेंगे। वैसा करेंगे। देख लेंगे। कहकर भड़ास निकाल लेते है। फिर घर लौट आते है।
एकाध मटक़ी या बाल्टी भर कर। टैंकर वाला उन लोगों के लिए भी पानी बचा कर रखता हैं।
जिनकी ऊपर तक पहुंच है। यह आखिर में आते हैं। चुपचाप पानी भर कर खिसक लेते हैं।
इनको किसी से कोई लेना-देना नहीं। इनके लिए जलसंकट पड़े। चाहे सूखा पड़े। मोहल्ले
में टैंकर आएंगा,तो इन्हें बगैर प्रयत्न ही पानी मिलेगा। इनकी ऊपर तक पकड़,जो है। बस यह तो
अपनी पकड़ मजबूत रखते हैं। जिसकी मजबूत पकड़ होती हैं। वहीं टैंकर से पानी भरता
है। चाहे पकड़ हाथ की हो,चाहे राजनीतिक की। पकड़ होनी चाहिए। जब पानी भरने पर मारा-मारी
होती है। तब लोग एक-दूसरे की कलाई पकड़ते है। हटाने के लिए। जो कलाई को मजबूती से
पकड़ता है। वह पानी भर लेता है। जिसकी पकड़ ढीली है। वह खाली हाथ लौट आता है।
इसलिए भाईयों,पानी भरने के लिए। अपनी पकड़ मजबूत रखों। मजबूत पकड़ होगी,तो पाताल तोड़ कर भी
पानी ले आओंगे। फिर तुम्हें जलसंकट या सूखे से घबराने की जरूरत नहीं। टैंकर आते ही
अपनी पकड़ मजबूत कर दो। पानी का कोटा पूरा कर लो। पकड़ ढीली रही,तो मुंह ताकते रह
जाओंगे।
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