आजकल सबको घर बैठे-बिठाए समाधान चाहिए। खर्चा-पानी भले ही चार गुना लग जाए। लेकिन समस्या का समाधान घर बैठे ही होना चाहिए। रोज व्यक्ति को अनेकानेक समस्याओं से लड़ना पड़ता है। इस दौरान कभी चारों खाने चित तो कभी हार का मुंह देखना पड़ता है। इस हार-जीत से छूटकारा पाने के लिए,वह घर बैठे समाधान चाहता है। घर बैठे समस्या का समाधान
आजकल घर बैठे समाधान करने वाले भी,हर जगह दुकान खोले बैठे हैं। इन्होंने अपना कारोबार ऑनलाइन से लेकर ऑफलाइन तक फैला रखा है। इनकी दुकान कस्टमर को पटाने के तमाम नायाब तरीकों से खचाखच भरी हुई रहती है। एक बार जो कस्टमर आ गया। वह समाधान खरीद कर ले ही जाएगा। यह समस्या का समाधान गारंटी के साथ करने का दावा भी करते हैं।
मसलन, गृह-क्लेश,आपसी मनमुटाव,पति-पत्नी में अनबन, गुप्त रोगी आदि इत्यादि समस्याओं का गारंटी के साथ घर बैठे समाधान। श्रीश्री गुरुजी द्वारा तैयार किया कवच मंगवाए। उसे पहनिए और समस्याओं से छूटकारा पाए। समस्या का समाधान नहीं हो तो पूरे पैसे वापस। तो देर किस बात की मोबाइल उठाइए और नीचे दी गई स्क्रीन पर दिए गए नंबरों पर लगाइए और घर बैठे हमारा प्रोडक्ट मंगवाए। जब टीवी स्क् रीन पर इस तरह का विज्ञापन बार-बार आता है तो लोग उसे ललचाए निगाहों से देखते हैं। और देखते-देखते ही ऑडर कर देते हैं।
चाचा ग्यारसी लाल कई दिनों से किसी समस्या से जूझ रहे थे। चाचा ने लगा दिया फोन। एक सप्ताह उपरांत आया पार्सल। चाचा ने पार्सल खोला। पार्सल में घास-फूस और एक चिट्ठी थी। जिस तरह बस में लिखा हुआ होता है,‘सवारी अपने सामान की रक्षा स्वयं करें।’ उसी तरह चिट्ठी में लिखा हुआ था,‘अपनी समस्या का समाधान स्वयं करें।’ यह पढ़कर चाचा अपना सिर पीटने लगे। मैंने कहा, ‘चाचाश्री! सिर पीटने से अब कुछ नहीं होगा। ऐसे समाधान होने लगे तो पता है न आपको देश में कितनी समस्याएं हैं। गिनाने लगे तो सुबह से शाम हो जाएगी। अगर ऐसे समाधान होते तो हमें दुश्मन से लड़ने की जरूरत ही नहीं होती। समस्याओं का ऐसे समाधान होने लगता तो मुल्क में भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी, ऐसे खुलेआम नहीं घूमती। हमारे यहां तो टोल फ्री हेल्प लाइन पर समस्याओं का समाधान नहीं होता। सौ बार फोन लगाओं तो बड़ी मुश्किल से एक बार लगता है। जब तक पूरी जन्म कुण्ड़ली नहीं जान लेंगे उससे पहले शिकायत दर्ज नहीं करते। शीघ्र आपकी समस्या का समाधान कर दिया जाएंगा। यह कहकर पूरी बात सुनने से पहले फोन काट देते हैं।’
चाचा बोले,‘बेटे मेरे तीन हजार रुपए का क्या होगा?’ मैंने चाचा को सांत्वना देते हुए कहा,‘जिस तरह श्मशान में गई हुई लकड़ी वापस नहीं आती। उसी तरह उनके पास गए हुए पैसे वापस नहीं आते।’
मेरा पड़ोसी भी एक बार झांसे में आ गया था। उसके घर पर चूहों ने हमला बोल दिया था। एक व्यक्ति चूहे मारने की दवा बेच रहा था। उसने उससे दस पैकेट खरीदे। घर आकर खोले तो हर पैकेट में एक ही बात लिखी हुई थी,चूहे पकड़िए और मारिए। आप भी ऐसे समाधानों से दूर रहेंगे तो बेहतर है।
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