8 Feb 2019

शराब


अंशु ने शराब को मुँह क्या लगाया,वह तो उसके सिर पर ही चढ़ गई है। किसी को कुछ समझती ही नहीं है,जो मुँह में आया वहीं बकने लग जाती है। बेवजह ही किसी से भी भिड़ जाती है। भिड़ंत होती दिखती हैतो अंशु को आगे कर देती है और खुद पतली गली से खिसक लेती है। पता नहीं क्या जादू-टोना कर रखा है,अंशु को तो ख्वाब में भी शराब ही दिखाई देती है। जबकि शराब उसे बर्बाद करने पर तुली हुई है। रोज बोतल मांगती है। मना करते हैं तो मरने मारने की धमकी देती है। समझाते हैं तो गाली गलौज से पेश आती है। अंशु और शराब का तो सूर्यास्त के साथ ही पीने का सिलसिला शुरू हो जाता है और देर रात तक चलता है।

कल तक अंशु शराब से दोस्ती खराब बताता था। आज उसी के संग झूम रहा है। बोलता है कि शराब है तो शबाब है,वरना जिंदगी वीरान है। शराब ही तो है जो सुख-दुख की संगी-साथी है। खुशी में खुशी जताने के लिए और गम में गम बुझाने के लिए शराब का एक प्याला भी बहुत राहत प्रदान करता है। जबकि शराब का प्याला इतना बदमाश है कि पीने वाला जब तक मतवाला नहीं हो जाए तब तक उसे पिलाता रहता है। क्योंकि पीने वाला जब तक टल्ली नहीं हो जाए,उसे मजा ही नहीं आता है। अंशु तो ऐसा है कि टल्ली होने के बाद अपना घर ही नहीं,पूरी गली को सिर पर उठा लेता है। जब तक गली वाले उसके नशे का चकनाचूर नहीं कर दें,तब तक शांत नहीं होता है। एक बार गिर गया न तो भारतीय मुद्रा की तरह गिरता ही रहता है। कई बार तो घरवालों और गलीवालों से भी नहीं उठता  है। पुलिस उठाकर ले जाती है तब उठता है।
पहले यदा-कदा पीता था और अब सदा मदहोश रहता है। मदहोशी में शराब के सिवाय किसी की भी नहीं सुनता है। जबकि शराब उस वक्त, उस पर बॉस की तरह हुक्म चलाती है। अंशु शराब के आदेश को सर आँखों पर रखता है। जैसा शराब कहती है,वैसा ही करता है। कोई बीच में टोकाटाकी करता है तो उसका टेंटुआ दबाने की कोशिश करता है। इसलिए वह जो भी करता है,घरवाले चुपचाप देखते रहते हैं। अंशु के घरवालों को मौन देखकर शराब बहुतप्रफुल्लित होती है। क्योंकि शराब की एक ही मंशा है,पीने वाले आबाद आदमी की बर्बादी। अंशु तो कब का ही बर्बादी की राह पर चल रहा है। बस अब तो मंजिल नजदीक है।
घर में कुछ नहीं बचा है। सब कुछ बेच डाला है। राम का नाम जपने की जपमाला तक को नहीं छोड़ा है। उसे भी एक दिन एक पव्वे में बेच दिया।

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