चुनाव संपन्न होने के बाद सबकी निगाहें परिणाम पर उसी तरह टिकी हुई है,जिस तरह से आसमान में उड़ते गिद्ध की निगाहें अपने शिकार पर टिकी हुई होती हैं। किसका परिणाम क्या होगा? यह जानने की उत्कंठा में टीवी के सामने रिमोट लेकर बैठे लोग दूसरा चैनल इसलिए नहीं बदल पा रहे हैं,उन्हें डर है कि दूसरा चैनल बदलते ही कहीं चुनाव परिणाम नहीं बदल जाए।
चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी भी अपने परिणाम की प्रतीक्षा में उसी तरह बेचैन हैं। जिस तरह से एक विद्यार्थी अपने परीक्षा परिणाम के आने से पूर्व बेचैन हो जाता है। जिस तरह से परिणाम के दो दिन पहले से विद्यार्थी की धड़कन अचानक सामान्य गति से तेज चलने लगती हैं। ठीक उसी तरह से प्रत्याशियों की धड़कन भी तेज होती जा रही हैं। इस चक्कर में कईयों को तो रात्रि में नींद नहीं आ रही हैं। करवटें बदल-बदलकर रात काट रहे हैं। लेकिन आज के बाद करवटें बदलने की जरूरत नहीं पड़ेगी। जो जीतेगा वह खुशी में और जो हारेगा वह गम में सो नहीं पाएगा।
एग्जिट पोल वाले नतीजे उसी तरह बता रहे हैं,जिस तरह अखबार के राशिफल में राशि बताते हैं। जिस तरह हम अपनी राशि पढ़कर,कभी खुशी से झूम उठते हैं तो कभी निराश होकर हतोत्साहित हो जाते हैं। ठीक उसी तरह की स्थिति एग्जिट पोल के नतीजों को देखकर हो रही है। सत्ता पक्ष पुलकित है और विपक्ष खामोश है। एग्जिट पोल के कारण कई प्रत्याशियों का ब्लड प्रेशर स्थिर नहीं हो पा रहा है। जिनका हाई है,उनका लो हो रहा है और जिनका लो है उनका हाई हो रहा है। दोनों ही बीपी की गोलियां गटक रहे हैं। इनके परिजन इन्हें नसीहत दे रहे हैं कि अकेले टीवी के सामने बैठकर परिणाम मत देखिएगा। कहीं परिणाम के चक्कर में प्राण नहीं निकल जाए। आपके प्राण है तो आपको और हमारे को लोगों का प्रणाम मिल रहा हैं। प्राण नहीं रहेंगे तो कोई प्रणाम भी नहीं करेगा। चुनाव का क्या है? चुनाव तो आते-जाते रहते हैं। लेकिन प्राण चले गए तो फिर कभी लौट कर नहीं आएंगे।
लेकिन आज जब ईवीएम से निकलने वाला परिणाम चौंकाने वाला आएगा। तब एग्जिट पोल वालों पर ठीकरा फोड़ने के बजाय ईवीएम पर ठीकरा फोड़ते नजर आएंगे। जबकि ईवीएम का परिणाम अंतिम सत्य है। मगर पराजित इस सत्य को मानने को तैयार ही नहीं होता है। उसे लगता है कि जरूर ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की गई है। अन्यथा मैं तो बहुत ज्यादा वोटों से जीत रहा था।
यह तो आज ही पता चल जाएगा। नतीजे एग्जिट पोल के मुताबिक होंगे या फिर विपरीत होंगे। मगर होंगे दोनों में से किसी एक ही दृष्टि में। इनके अलावा तीसरे और चौथे दृष्टिकोण से तो होने से रहे। क्योंकि एग्जिट पोल वाले जो ढोल बजा रहे हैं। उस पर पड़ने वाली थाप या तो आज एकदम से तेज हो जाएगी या फिर एकदम से बंद हो जाएगी। यही एग्जिट पोल की नियति है। जिसकी जो नियति होती है,उसका उसी तरह से अंत होता है। --
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