3 Nov 2019

नियति नहीं,सिर्फ इत्तेफाक


बिल्लू दिल्ली जाने के लिए घर से बाहर निकला ही था कि बिल्ली ने रास्ता काट दिया। अपशगुन हो गया।अपशगुन हो गया तो अनहोनी का भय व्याप्त होना ही था। सो हो गया। जनाब जिन पैरों से बाहर निकला था,उन्हीं से वापस घर के अंदर हो लिया। अब इसमें बिल्ली का क्या दोष है। उसने जान-बूझकर रास्ता थोड़ी काटा था। उसके पीछे एक कुत्ता पड़ा था,जिससे अपनी जान बचाने के लिए उस गली से इस गली में भागकर आ रही थी। रास्ता पार करने के दौरान कोई सामने आ गया तो इसमें बिल्ली की क्या गलती है? बिल्‍लू इसको अपशगुन मान बैठा है।
अपशगुन के कारण जाना स्थगित था,मगर काम ही कुछ ऐसा था कि जाना अत्यंत आवश्यक था। सो दोबारा निकलना चाहा,लेकिन बिल्ली ने फिर से रास्ता काट दिया। इस बार भी उसका कसूर नहीं था। कुत्ता पैर धोकर उसके पीछे पड़ा था। उसे ऐसी सुरक्षित जगह मिल नहीं रही थी,जहाँ पर छिपने के बाद कुत्ते से पिंड छूट जाएं। इसलिए सिर पर पैर रखकरइस गली से उस गली में ही भाग रही थी। 
अभी तक बिल्लू नहीं तो आगे बढ़ा था, नहीं पीछे मुड़ा था। वहीं का वहीं खड़ा था और यह सब देख रहा था। पर बिल्ली की बिल्कुल भी मदद नहीं की। बल्कि,भौं-भौं करके कुत्ते को उकसाने लगा। बिल्ली भी सयानी थी,यह चाल भाँप गई थी। भागकर पोल पर चढ़ गई। चढ़ते ही उसे एक बार तो ऐसे लगा,जैसे कि गढ़ जीत लिया हो। पर जब नीचे देखी,तो होश उड़ गए। कुत्ता नीचे ही खड़ा था। 
बिल्ली,बिल्लू को कोसने लगी और मन ही मन सोचने लगी-मैंने ही थोड़ी रास्ता काटा था। इस कुत्ते ने भी तो काटा था। इसका रास्ता काटना अपशगुन क्यों नहीं? जबकि इसमें और मुझमें कोई खास अंतर नहीं है। इसके भी वही चार पैर हैं,जो मेरे हैं। वहीं आँख और कान है। यह भौंकता हैं और हम म्याऊं करते हैं। बस इसमें और मुझमें यही तो अंतर है। बाकी तो सब समान है,फिर हमारे साथ ही दुर्व्यवहार क्योंयह तो अन्याय हो रहा है। नीचे उतरने के बाद मुझे ही बिल्लियों को एकजुट करके इसके खिलाफ आवाज उठानी होगी। पर यहाँ से यह कुत्ता नहीं गया तो मेरा क्या होगा। कब तक खंभे के चिपकी रहूंगी? यह तो शुक्र है कि उस समय बिजली गुल थी। अन्यथा बिल्ली चिपकी की चिपकी ही रह जाती। कुत्ता यह सोचकर भौं-भौं करके भौंकने लगा कि डरकर नीचे उतर आएगी। पर काफी देर भौंकने के बाद भी नीचे नहीं उतरी तो मन मसोसकर चल दिया। यह  देखकर बिल्ली तत्काल नीचे उतर आई। 
लेकिन जो मन में सोचा था, वह तो नीचे उतरते ही भूल गई। क्योंकि उसे भूख लग गई थी। भूख के समय भोजन के अलावा कुछ भी याद नहीं रहता है। बिल्ली भोजन की तलाश में उस घर में घुस गई, जिसमें दूध का ग्लास रखा था। मगर उसके नसीब में दूध नहीं लिखा था। उस घर की मालकिन ने दूध के ग्लास के पास पहुँचने से पहले ही उसे जूता फेंक कर मारा। डरकर बेचारी भाग रही थीकि एक सज्जन आ गए। बिल्ली ने उसका रास्ता काट दिया। किसी का भी रास्ता काटना बिल्ली की नियति नहीं,सिर्फ इत्तेफाक है।

1 comment:

nayee dunia said...

वाह, बहुत बढिया जी