9 Aug 2020

मुझे भी खुद को दिखाना है

कई दिनों से सोच रहा हूँ कि सोशल मीडिया पर लाइव आऊं,लेकिन यही सोचकर रह जाता हूँ कि अपनी शक्ल-सूरत शायद लाइव होने लायक नहीं। सुना है कि जिनकी सूरत खूबसूरत होती है,सिर्फ वही लाइव आते हैं। उन्हें ही ज्यादा लाइक और कमेंट का प्रसाद मिलता है। भले ही वे यूं ही लाइव हुए हों। यह भी सुना है कि लाइव के लिए शक्ल-वक्ल मायने नहीं रखती। बस लाइव आने के पीछे कोई न कोई उद्देश्य अवश्य होना चाहिए। हाँ,लाइव पर लाइक नहीं मिले तो लाइव आना ही बेकार है। इससे मेरी दुविधा और बढ़ गई। फिलहाल मैं इसी उधेड़बुन में हूँ कि लाइव आने का आखिर मकसद क्या हो और बिना उद्देश्य न हो क्या करूं-क्या कहूं? ऐसा क्या करूं कि सोशल मीडिया में अपना चेहरा दिखाऊं

लाइव बोले तो जिंदा। विमर्श यह कि मुद्दा सामयिक हो या असामयिक। सामाजिक हो या राजनीतिक। ऐतिहासिक हो या साहित्यिक। आर्थिक हो या धार्मिक।  सहिष्णु हो या असहिष्णु। एलोपैथिक हो या आयुर्वेदिक। या फिर इनसे अलग ही हो। अलग क्या होअलग हो तो ऐसा होजो कि अलख जगा दे। बिना वायरस के पहली लाइव में ही लाइफ बना दे। किसी वायरस की वजह से लाइव हुए तो क्या हुए। लाइफ बेवजह खतरे में डालकर चर्चित हुए तो यह भी कोई वायरल होना हुआ।

मेरे मित्र मुझे बता रहे हैं- समझा रहे हैं कि लाइफ में लाइव नहीं आया, दुनिया को अपना चेहरा नहीं दिखाया तो सोशल मीडिया की दुनिया में रहना ही निरर्थक है। ज्यादा नहीं तो एक लाइव तो बनता है। इस आभासी दुनिया में लाइव से ही पहचान बनती है। लाइव से ही वाइफ खुश रहती है। वाइफ खुश तो सारा जहां खुश। लाइव से फेसबुक फ्रेंड का बैकग्राउंड दिख जाता है। बगैर लाइव के फ्रेंड के बारे में कुछ भी पता नहीं लगता। वह कैसा दिखता है? किस टाइप का है? लाइव से उसका रूपरंग,हाव-भाव से परिचित हो जाते हैं। फैन बन जाते हैं।

मित्र ने तो यहाँ तक कहा है कि आजकल लाइव ही वह  मिसाइल है,जिसके जरिए व्यक्ति चाँद तक पहुँच जाता है। मैं हूँ कि गली के नुक्कड़ तक नहीं पहुँच पा रहा हूँ। चाँद तक न सही,आसमान छूने की तमन्ना तो मेरी भी है,लेकिन मैं हूँ कि लाइव आने-चेहरा दिखाने में हिचकिचा रहा हूँ। समझ में नहीं आ रहा है कि लाइव आने के लिए ऐसा क्या करुं जिससे कि मेरी हिचक दूर हो जाए और मैं लाइव आ जाऊं। 

मन कह रहा है कि तू साहित्यकार है नतो क्यों न उसे ही आजमाएकविता,गीत,गजल,व्यंग्य या कहानी में से किसी एक को लेकर लाइव आ और सुर्खियों में छाजा।लाइव आने को मोबाइल हाथ में लेता हूँ,तो एक मन कहानी के लिए और और दूसरा मन व्यंग्य के लिए। मुझे गीत गजल तो आती नहीं। कविता लेकर इसलिए नहीं आना चाहता,क्योंकि अभी कविता सुनने वाले श्रोता कम और कवि लाइव ज्यादा आ रहे हैं। ऐसे में मुझ अकिंचन की कविता के लाइव को देखना-सुनना तो दूर एक लाइक तक नहीं मिलेगा। कहानी और व्यंग्य में कहानी मुझे कहनी नहीं आती  और व्यंग्य हर किसी के समझ में नहीं आता है। यह सोच कर लाइव नहीं आ पा रहा हूँ।

हालांकि राजनीति की समझ नहीं है। अन्यथा राजनीति को लेकर बिना किसी हिचकिचाहट के लाइव आ जाऊं। और बेतुके बयान देकर सुर्खियों में छा जाऊं। सोच रहा हूँ कि किसी न किसी सामाजिक विषय को लेकर लाइव आ जाऊं,लेकिन सामाजिक विषय तो तमाम हैं। उनमें चयन नहीं कर पा रहा हूँ कि किस विषय को लेकर लाइव का प्रयास करूंक्योंकि मैं ऐसे विषय के साथ लाइव आना चाहता हूँ जिसके साथ अभी तक कोई भी लाइव नहीं आया हो। लाइफ में पहला लाइव ऐसा हो कि कोई वाह किए बगैर न रहे। वैसे तो तमाम  विवादस्पद मुद्दे हैं,लेकिन मुझे सर्वसम्मति वाला कोई विषय दिख नहीं रहा है। अगर आपको दिख रहा है तो मुझे अवश्य बताइएगा,ताकि मैं अविलंब लाइव आ जाऊं।

मोहनलाल मौर्य 

16 comments:

राकेश 'सोहम' said...

बेजोड़ हास्य-व्यंग्य। लाइव आने की तमन्ना पूरी अधूरी ही रहेगी।

sunita shanoo said...

वाह बहुत खूब

Farooq Afridy said...

अति सुंदर आलेख ।बधाई।

Farooq Afridy said...

अति सुंदर आलेख ।बधाई।

Farooq Afridy said...

बहुत बढ़िया ।बधाई

Devkaran saini said...

Wow nyc.. congratulations bro..

SUDESH JAT said...

अति सुन्दर भाई

SUDESH JAT said...

भाई विषय तो अपने चतरपुरा गांव के ही बहुत हैं
बस आप को कोई एक को चुनना है

मोहनलाल मौर्य said...

सर जी हृदय से आभार।

मोहनलाल मौर्य said...

मैम जी हृदय से आभार।

मोहनलाल मौर्य said...

सर जी हृदय से आभार।

मोहनलाल मौर्य said...

सर जी हृदय से आभार।

मोहनलाल मौर्य said...

सर जी हृदय से आभार।

मोहनलाल मौर्य said...

सर जी हृदय से आभार।

मोहनलाल मौर्य said...

सर जी हृदय से आभार।

मोहनलाल मौर्य said...

आप सभी का हार्दिक आभार