कई दिनों से सोच रहा हूँ कि सोशल मीडिया पर लाइव आऊं,लेकिन यही सोचकर रह जाता हूँ कि अपनी शक्ल-सूरत शायद लाइव होने लायक नहीं। सुना है कि जिनकी सूरत खूबसूरत होती है,सिर्फ वही लाइव आते हैं। उन्हें ही ज्यादा लाइक और कमेंट का प्रसाद मिलता है। भले ही वे यूं ही लाइव हुए हों। यह भी सुना है कि लाइव के लिए शक्ल-वक्ल मायने नहीं रखती। बस लाइव आने के पीछे कोई न कोई उद्देश्य अवश्य होना चाहिए। हाँ,लाइव पर लाइक नहीं मिले तो लाइव आना ही बेकार है। इससे मेरी दुविधा और बढ़ गई। फिलहाल मैं इसी उधेड़बुन में हूँ कि लाइव आने का आखिर मकसद क्या हो और बिना उद्देश्य न हो क्या करूं-क्या कहूं? ऐसा क्या करूं कि सोशल मीडिया में अपना चेहरा दिखाऊं?
लाइव बोले तो जिंदा। विमर्श यह कि मुद्दा सामयिक हो या असामयिक। सामाजिक हो या राजनीतिक। ऐतिहासिक हो या साहित्यिक। आर्थिक हो या धार्मिक। सहिष्णु हो या असहिष्णु। एलोपैथिक हो या आयुर्वेदिक। या फिर इनसे अलग ही हो। अलग क्या हो? अलग हो तो ऐसा हो, जो कि अलख जगा दे। बिना वायरस के पहली लाइव में ही लाइफ बना दे। किसी वायरस की वजह से लाइव हुए तो क्या हुए। लाइफ बेवजह खतरे में डालकर चर्चित हुए तो यह भी कोई वायरल होना हुआ।
मेरे मित्र मुझे बता रहे हैं- समझा रहे हैं कि लाइफ में लाइव नहीं आया, दुनिया को अपना चेहरा नहीं दिखाया तो सोशल मीडिया की दुनिया में रहना ही निरर्थक है। ज्यादा नहीं तो एक लाइव तो बनता है। इस आभासी दुनिया
में लाइव से ही पहचान बनती है। लाइव से ही वाइफ खुश रहती है। वाइफ खुश तो सारा
जहां खुश। लाइव से फेसबुक फ्रेंड का बैकग्राउंड दिख जाता है। बगैर लाइव के फ्रेंड
के बारे में कुछ भी पता नहीं लगता। वह कैसा दिखता है? किस
टाइप का है? लाइव से उसका रूपरंग,हाव-भाव
से परिचित हो जाते हैं। फैन बन जाते हैं।
मित्र ने तो यहाँ तक कहा है कि आजकल लाइव ही वह मिसाइल है,जिसके
जरिए व्यक्ति चाँद तक पहुँच जाता है। मैं हूँ कि गली के नुक्कड़ तक नहीं पहुँच पा
रहा हूँ। चाँद तक न सही,आसमान छूने की तमन्ना तो मेरी भी है,लेकिन मैं हूँ कि लाइव आने-चेहरा दिखाने में हिचकिचा रहा हूँ। समझ में
नहीं आ रहा है कि लाइव आने के लिए ऐसा क्या करुं जिससे
कि मेरी हिचक दूर हो जाए और मैं लाइव आ जाऊं।
मन कह रहा है कि तू साहित्यकार है न, तो क्यों न उसे ही आजमाए? कविता,गीत,गजल,व्यंग्य
हालांकि राजनीति की समझ नहीं है। अन्यथा राजनीति को लेकर बिना किसी हिचकिचाहट के लाइव आ जाऊं। और बेतुके बयान देकर सुर्खियों में छा जाऊं। सोच रहा हूँ कि किसी न किसी सामाजिक विषय को लेकर लाइव आ जाऊं,लेकिन सामाजिक विषय तो तमाम हैं। उनमें चयन नहीं कर पा रहा हूँ कि किस विषय को लेकर लाइव का प्रयास करूं, क्योंकि मैं ऐसे विषय के साथ लाइव आना चाहता हूँ जिसके साथ अभी तक कोई भी लाइव नहीं आया हो। लाइफ में पहला लाइव ऐसा हो कि कोई वाह किए बगैर न रहे। वैसे तो तमाम विवादस्पद मुद्दे हैं,लेकिन मुझे सर्वसम्मति वाला कोई विषय दिख नहीं रहा है। अगर आपको दिख रहा है तो मुझे अवश्य बताइएगा,ताकि मैं अविलंब लाइव आ जाऊं।
मोहनलाल मौर्य
16 comments:
बेजोड़ हास्य-व्यंग्य। लाइव आने की तमन्ना पूरी अधूरी ही रहेगी।
वाह बहुत खूब
अति सुंदर आलेख ।बधाई।
अति सुंदर आलेख ।बधाई।
बहुत बढ़िया ।बधाई
Wow nyc.. congratulations bro..
अति सुन्दर भाई
भाई विषय तो अपने चतरपुरा गांव के ही बहुत हैं
बस आप को कोई एक को चुनना है
सर जी हृदय से आभार।
मैम जी हृदय से आभार।
सर जी हृदय से आभार।
सर जी हृदय से आभार।
सर जी हृदय से आभार।
सर जी हृदय से आभार।
सर जी हृदय से आभार।
आप सभी का हार्दिक आभार
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