सोशल मीडिया से पता लगा है कि कोरोना वायरस कोई ऐरा-गैरा नत्थू-खैरा नहीं है। न
बेशर्म है, न आदत से लाचार। स्वाभिमानी और आत्मसम्मान वाला
वायरस है। जब तक आप घर से बाहर नहीं निकलेंगे, वह घर के अंदर
नहीं आएगा। घर से निकल गए, तो बंदर की तरह उछलकर घर के अंदर
आ जाएगा और बंदर की तरह ही उत्पात मचाएगा। एक मित्र का सुझाव है कि भविष्य में
अपनों के पास रहना है, तो कुछ समय के लिए दूरियां बनाकर
रहिए। अगर दूरी बनाकर नहीं रहेंगे, तो कोरोना नजदीकी का
फायदा उठा लेगा। यह फायदा उठाने में बहुत ही उस्ताद है।
सरकार की गाइडलाइन फॉलो करें, अन्यथा कोरोना आपकी सेहत को अनफॉलो कर
देगा। बचाव ही उपाय बताया जा रहा है। बचाव न किया, तो कोरोना
का बर्ताव बहुत बुरा है। खांसी या छींक आए, तो मुंह पर तुरंत
रूमाल लगाइए, नहीं लगाएंगे, तो कोरोना
अपना कमाल दिखाए बगैर नहीं रहेगा। मुंह पर मास्क लगाकर रहिए, वरना कोरोना माफ नहीं करेगा। किसी से भूलकर भी हाथ मत मिलाइए, वरना कोरोना हाथ पकड़कर खींच लेगा। बार-बार साबुन या हैंडवॉश से हाथ धोते
रहिए। अगर हाथ धोने में जरा सी भी कोताही बरती, तो कोरोना
हाथ धोकर पीछे पड़ जाएगा। पीछे पड़ गया, तो कहीं भी चले जाइए
या छिप जाइए, यह पीछा नहीं छोडे़गा। पकड़कर ही रहेगा। इसने
पकड़ लिया, तो उससे छुड़वाना बहुत ही मुश्किल है। लॉकडाउन में
लोकगीत गाकर टाइम पास कर लीजिए, मगर घर से बाहर मत निकलिए।
निकले, तो खुद के लिए और घरवालों के लिए खतरा साबित हो सकता
है। खतरे का तो कतरा भी खतरनाक ही होता है।
जिस तरह जनता कर्फ्यू के दिन घरों में कैद रहे
थे। ठीक उसी तरह से कुछ दिन और घर के अंदर कैद रह लीजिए। जहन्नुम में जाने से बच
जाएंगे। इस खाली समय में कुछ भी नहीं कर सकते, तो जनता कर्फ्यू की शाम की तरह थाली और ताली बजाते रहिए। हो सकता है कि
कोरोना को रोना आ जाए और हमारे देश से भाग जाए।
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