23 Sept 2017

भैया इंग्लिश का जमाना है

चिंटू तुझे कित्‍ती बार मना किया है। भैया इंग्लिश का जमाना है  हिंदी में बात नहीं करते। इंग्लि‍श मीडियम के बच्‍चे इंग्लिश में वार्ता करते हैं। चलों अंकल को अपना नाम बताओं। अंकल जी माई नेम इज चिंटू। यह सुनकर अंकल जी प्रसन्‍न हो गया और कहा- वैरी गुड बेटे। इसी तरह से अंकल ने चिंटू से मम्‍मी-पापा का नाम पूछा और चिंटू ने तपाक से बता दिया। जब चिंटू से देश के प्रधानमंत्री के बारे पूछा कि बताओं अपने देश का प्रधानमंत्री कौन है? यह सुनकर चिंटू मौन हो गया और मुंह में उंगुली चबाने लगा। चिंटू की मम्‍मी बोली भैया इंग्लिश में पूछों-अंकल इंग्लिश में पूछे उससे पहले चिंटू ने सिर हिलाकर मना कर दिया।
भैया इंग्लिश का जमाना है 
यह देख, चिंटू की मम्‍मी ने जट से चिंटू की प्रिंसीपल को फोन लगाया। प्रिंसीपल ने फोन उठाया और कहा- हैलो कौन? मैं चिंटू की मम्‍मी बोल रही हूं। हां मैडम बोलिए। चिंटू को प्रधानमंत्री का नाम तक मालूम नहीं हैं। आप क्‍या खाक पढ़ाते है। मैडम ऐसी बात नहीं है। तो कैसी बात ? वह भी बता दीजिए। पहले तो आप शांत हो जाए। क्‍या शांत-शांत लगा रखा है। फीस तो मोटी लेते हो और बच्‍चों को मम्‍मी पापा के नाम रटवाकर वाहवाही लूटते हैं। तुमसे अच्‍छे तो हिंदी मीडियम वाले ठीक है,जो बच्‍चों को पढ़ाते भले ही कम हो। लेकिन वे जित्‍ती फीस लेते हैं उत्‍ता ज्ञान तो देते हैं। यह कहकर चिंटू की मम्‍मी ने फोन काट दिया।

भैया आप बैठए। मैं आपके लिए चाय लाती हूं। भैयाजी चिंटू को अपने पास बोलकर पूछने लगे बताओं चिंटू तुम्‍हें ओर क्‍या क्‍या आता है? पॅायम आती है। टेबल आती है। गिनती आती है। ओर क्‍या आता है? बस यहीं आता है। अच्‍छा तो कोई पॉयम सुनाओं। मछली जल की रानी है,जीवन उसका पानी है। हाथ लगाओं डर जाएंगी,बाहर निकालों मर जाएंगी। चिंटू यह तो हिंदी की पॉयम है। अंग्रेजी में सुनाओं। अंकल इंग्लिश में नहीं आती। इंग्लि‍श में क्‍यों नहीं आती है बेटे? अंकल जब मैडम पॉयम सुनाती है ना तो मेरी समझ में नहीं आती है। समझ में क्‍यों नहीं आती? अरें,अंकल समझ में तो मैडम के भी नहीं आती। तुम्‍हें कैसे पता मैडम के समझ में नहीं आती। अंकल पिंटू ने बताया था।

इत्‍ते में चिंटू की मम्‍मी चाय लेकर आ गर्इ। भैयाजी चाय सुड़कते हुए बोले-भाभाजी चिंटू को इंग्लिश मीडियम स्‍कूल से अच्‍छा है हिंदी मीडियम में पढ़ाओं। इसकी हिंदी में अच्‍छी पकड़ है। अरे, भैया आप क्‍या बोल रहे है? हिंदी के दिन गए। अब तो जमाना ही इंग्लिश का है। वह कमला है ना जो खुद निरक्षर है पर अपने बच्‍चे को इंग्लिश मीडियम स्‍कूल में भेजती है और बहादूर की लड़की तो फराटे दार इंग्लिश बोलती है। जबकि बहादूर को सही ढ़ग से हिंदी भी नहीं आती। भाभाजी आपने मेरी बात समझी नहीं। बच्‍चे को उसकी हॉबी के मुताबिक पढ़ाना चाहिए। मनोविज्ञान भी यही कहता है। कौन क्‍या कहता है? यह महत्‍तव नहीं रखता। आजकल शहर तो शहर गांवों बच्‍चे भी इंग्लिश मीडियम स्‍कूलों में पढ़ने जाते हैं। भैया प्रतिस्‍पर्धा का युग है। यह सुनकर भैयाजी तो चुप हो गए। लेकिन चिंटू का क्‍या होगा ?

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