13 Sept 2016

लूटी खाट पर चर्चा -दैनिक हर‍िभूमि

लूटी खाट पर चर्चा 
राहुल गांधी की खाट पर चर्चाकी सभा खत्म होते ही कुछ खाटे खड़ी हो गई। कुछ खाटे टूट गई। कुछ छीना-झपटी में
13.सितम्‍बर 2016 हर‍िभूमि 
छूट गई। कुछ सही-सलामत घर पहुंच गई। किसी के हाथ खाट लगी तो किसी के हाथ खाट के पाए लगे। और किसी के हाथ खाट की रस्सी लगी। जिनके हाथ कुछ भी नहीं लगी। वे हाथ मलते रह गए। जिनके हाथ खाट लगी। वे खाट पर बैठकर
चुनावीं चर्चाकरेंगे। खाट पर चर्चाखाट पर ही होती है। शायद इसीलिए खाट लेकर गए है,वे लोग। ताकि खाट पर बैठकर आराम से चुनावीं चर्चाकर सकें। जिनके हाथ खाट के पाए लगे। वे घर में टूटी हुई खाट में पाए लग वाकर चुनावी चर्चाकरेंगे। जिनके हाथ खाट की रस्सी लगी है। वे मन मसोस कर उस खाट को पूरी करेंगे। जो पिछले चुनाव में टूट गई थी।
जिन लोगों के कुछ भी हाथ नहीं लगा। वे लोग अपनी खाट पर बैठकर उसको निहार रहे होंगे। खाट नहीं लूट पाने के मलाल में अपनी खाट पर पड़े-पड़े खर्राटे भर रहे होंगे। सपने में आगामी खाट लूटने की योजना बना रहे होंगे। ताकि आगे भी ऐसा कार्यक्रम हो और हम पहले ही आमादा रहे। खाट लूटने के लिए। जैसे ही वे खाट डालेंगे। वैसे ही हम उस पर विराजमान हो जाएंगे। पहले तो ध्यानपूर्वक नेताजी का भाषण सुनेंगे। जब सभा खत्म होगी तो उस खाट को लेकर घर आ जाएंगे। इस बार किसी ने हमारी लूटी हुई खाट को लूटने की कोशिश की तो हम उसको ही लूट लेंगे।
वे हमें वर्षों से लूट रहे हैं। एक बार उनको लूट लिया तो क्या हुआ। उन्हें भी लूटने का अहसास होना चाहिए। कैसे लूटते है? आज का वोटर बावला थोड़ी है,जो हर बार लूट जाएंगा। इस बार उसने लूटकर सयाना होने का परिचय दे दिया है। चुनावीं दौर में जो भी लूटने को मिले उसे लूट लेना चाहे। पांच साल में एक बार ही तो लूटने का मौका मिलता है। बस,लूटी हुई चीज को लूट कर वहां रूकना नहीं चाहिए। सीधा घर आ जाना चाहे। क्योंकि वहां लूटी हुई को भी लोग लूट लेते हैं।
एक किसान को ठाठ-बाट का अहसास खाट पर ही होता है। ना कि कुरसी पर। उसके घर आए मेहमान की सेवा-सत्कार वह खाट पर बैठाकर ही करता है। खाट की हर रस्सी से उसका अटूट रिस्ता होता है।किसान यात्रामें अगर किसी किसान ने खाट लूट ली तो क्या हुआ। उसके घर आने वाले नेताजी को वह उसी लूटी हुई खाट पर तो बैठाएंगा। अपना दुख-दर्द बताएंगा। चुनावीं चर्चाकरेंगा। और नेताजी से कहेगा-साब,आप लूटी हुई खाट पर विराजमान हो। यह राजनीति के नीति की खाट है। झूठा आश्वासन मत देना। वरना यह लूटी हुई खाट टूट जाएंगी। खाट चाहे लूटी हुई हो। चाहे घर की हो। खाट पर जो ठाठ-बाट है। वैसे ठाठ-बाट और कहां। चाहे घर-गृहस्थी की चर्चा हो। चाहे चुनावीं चर्चाहो। जैसी चर्चाखाट पर होती है,भला और कहां हो सकती है।

No comments: