23 Sept 2016

एक मच्छर से मुलाकात- दैनिक जनवाणी

कल मैं एक एडीज 
मच्छर से मुखातिब हुआ। 
उससे पूछा-सुबह-सुबह 
कहां जा रहे हो। 
वह भी इतने
दैनिक जनवाणी 23 सितम्‍बर 2016 
चिकने होकर। उसने भिनभिनाते हुए कहा-ड्यूटी पर जा रहा हूं। अस्पताल में लोगों को सम्हालने। क्या करू साब। दिन-रात की ड्यूटी कर रहा हूं। रात को जिनको काटता हूं। दिन में उनको सम्हालता हूं। हमारे साब का हूकम है
,साब। जिसे भी काटो उसको सम्हालते रहो। लेकिन आप क्यूं पूछ रहे हो। मैंने कहा-बस यूं ही पूछ लिया।

मैंने बात आगे बढ़ाते हुए पूछा-तुम्हारा भी साब है। उसने कहा- तुम लोगों का ही साब हो सकता है। हमारा साब क्यों नहीं हो सकता। हमारा साब तो बहुत खुश मिजाज का मच्छर है। जब भी हमारी मीटिंग होती है। साब हम मच्छरों की बहुत सेवा-सत्कार करता है। बस वह तो कार्य के प्रति कोताही बरतने वाले को ही माफ नहीं करता है।

मैंने कहा- तुम्हारा साब! तुम्हे क्या-क्या दिशा निर्देश देता है। उसने बताया- हमारा साब हर शाम हमारी मीटिंग लेता है। उस मीटिंग में एक-एक मच्छर से पूछताछ करता है। आज तुमने किस पर हमला किया और कहां किया। वह अस्पताल में है या फिर घर पर ही है। पूरी जानकारी मुहैया करवानी पड़ती है,साब को। इनसान की तरह आधा-अधूरा कार्य से काम नहीं चलता है। आधे-अधूरे को हमारा साब अस्वीकार कर देता है। साब ने सबको अपना-अपना एरिया बांट रखा है। समय-समय पर नसीहत देता रहता है,साब।

मैंने कहा- आपने दिल्ली में कुछ ज्यादा ही आतंक मचा रखा है। आपकी दहशत से दिल्लीवासी सहमे हुए हैं। चिकनगुनिया से मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। आप में जरा सा भी दया-धर्म नहीं है। उसने कहा- पहले आप अपने अंदर झांक कर देखों,साब। कितना दया-धर्म निभाते हो,आप। उसके बाद में मेरे से पूछना। हम आपकी तरह थोड़ी है,जो आरोप-प्रत्यारोप से गिरे रहते है। हम तो अपने कार्य में लीन रहते है। हमें तो ट्वीट करने का भी समय नहीं मिलता है। जो कि ट्वीट कर साब को बता दे। रही बात दया-धर्म की। सो हमारे लिए सब समान है। जो चपटे में आ गया। वहीं सही।
मैंने पूछा- क्या आपने भी ट्विटर पर अकांउट खोल रखा है? उसने बताया- नहीं साब! हमें ट्विटर के लिए कहां फुरसत है। जो ट्विटर पर है। वहीं हमारा कार्य कर देते हैं। हमारे संदर्भ में क्या किया जा रहा है। हम से लडऩे के लिए किस हथियार का इस्तेमाल कर रहे है। आदि-इत्यादि की सूचना मिलती रहती है।
मैंने कहा- तो आप ट्विटर के जरिए लोगों पर हमला करते है। उसने कहा-लगता है आप भी मुर्खों की श्रेणी में आते है। हमला तो हम हमारे साब के मुताबिक करते है। ट्विटर तो हमारे बचाव का साधन है। हम जिस दिन ट्विटर पर आ गए। उस दिन से सबकी छुट्टी कर देंगे। हम ऐसे-ऐसे ट्वीट करेंगे कि सब हमारे रंग में रंग जाएंगे। वैसे आपका यह ट्विटर वाला सुझाव अच्छा है। आज शाम को ही मैं हमारे साब के सम्मुख ट्विटर का सुझाव रखता हूं। अब मैं आप से विदा चाहता हूं,साब। सुबह-सुबह धंधा-पानी का टाइम है। नहीं तो साब मुझे गैर हाजिर कर देंगे। मेरे भी छोटे-छोटे बाल-बच्चे है। उसने कहा। मैंने कहा-ठीक है।

                                          

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