24 Feb 2018

सारथी बालिका अभियान एक सार्थक पहल

चर्चित तथा दबंग आईपीएस पंकज चौधरी ने की पहल  
मोहनलाल मौर्य 
एक रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में वर्ष 2015 में 2215 महिला पुलिसकर्मी सूबे के 861 थानों पर तैनात थी। वही सूबे में होने वाले महिलाओं के खिलाफ अपराध पर दृष्टि डालें, तो पुराने आंकडे ही चौंकाते है। फ़िर ऐसे में आज के परिवेश में महिला सुरक्षा की सूबे में क्या स्थिति होगी, इसका अंदाजा 2012 के आंकड़ों से लगाया जा सकता है। सूबे में 2012 में बलात्कार के दो हज़ार से अधिक मामले दर्ज हुए, तो 2014 में लगभग 3800। ऐसे में राज्य पुलिस औऱ स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की सार्थक पहल सारथी अभियान बालिकओं को पुलिस के क्षेत्र में आने के लिए प्रोत्साहित करने का बेहतर जरिया हो सकता है। जो जयपुर में महिला दिवस के मौके पर चर्चित, दबंग आईपीएस अधिकारी पंकज चौधरी के नेतृत्व में शुरू होगा। इस सारथी अभियान का मुख्य उद्देश्य बालिकाओं को पुलिस प्रशिक्षण देना है। जिसमें अनुमान के मुताबिक सूबे की लाखों महिलाएं और बालिकाएं हिस्सेदारी लेंगी। यह सारथी टीम जहां पुलिस बल के कार्यों के बारे में इस अभियान के माध्यम से समझाएगी। वहीं सूबे के लोगों औऱ पुलिस बल के बीच सामंजस्य स्थापित करने का कार्य भी करेंगी।


वैसे राष्ट्रीय स्तर पर पुलिस बल में महिलाओं की बेहतर उपस्थिति सुनिश्चित करने की पहल 2009 में मनमोहन सिंह सरकार ने किया था। जब सरकार ने कहा था, कि सभी केंद्र शासित प्रदेशों और राज्य सरकारों में कम से कम पुलिस बल में महिलाओं की संख्या 33 फीसदी की जाए। पर यह महिलाओं के अधिकार के प्रति रहनुमाई व्यवस्था की अचेतन अवस्था का परिणाम है, कि महिला अपराधों में वृद्धि 2018 आते-आते काफ़ी तेज़ी के साथ बढ़ रही है, लेकिन पुलिस बल में महिलाओं की संख्या में कोई विशेष इज़ाफ़ा होता नहीं दिख रहा। ये बात साबित करती है, कि हमारा समाज महिलाओं के प्रति संवेदनहीनता का शिकार तो है ही, रहनुमाई व्यवस्था भी महिलाओं को त्वरित न्याय औऱ भय मुक्त वातावरण देने के प्रति कितनी सज़ग है? इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, कि देश में सिर्फ़ 586 महिला पुलिस थाने हैं, यानि हर जिले में एक महिला पुलिस थाने भी नहीं क्योंकि देश में लगभग 641 जिले हैं। यह आलम उस वक्त है, जब देश में अपराध सबसे ज़्यादा महिलाओं के खिलाफ ही होते हैं। 

              इसके साथ 2014 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या काफी कम है। जो  चिंताजनक स्थिति बयां करती है। 2014 की रिपोर्ट के अनुसार देश में कुल 17,22,786 पुलिस कर्मियों में से महिला पुलिस कर्मियों की संख्या सिर्फ़ 6.11 फीसदी है। फ़िर ऐसे में महिला सशक्तिकरण की बात धरातल पर कैसे आ सकती है। विचारणीय तब यह स्थिति ओर व्यापक हो जाती है, जब पता चलता है, महाराष्ट्र के साथ ओड़िशा, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान, गुजरात, सिक्किम,  झारखण्ड औऱ  त्रिपुरा जैसे राज्यों में महिलाओं के लिए 30 फ़ीसद या उससे अधिक का पद आरक्षित है। फ़िर हमारी रहनुमाई व्यवस्था इस बात का आंकलन क्यों नहीं करती, कि क्या कारण है। जिसकी वज़ह से महिलाओं की संख्या इतनी पुलिस बल में कम क्यों है। जो महिलाएं खुद पुलिस में है, वो जब ख़ुद मानती है, कि महिलाएं पुलिस बल में भर्ती नहीं होना चाहतीं, तो इसका कारण सरकारें पता क्यों नहीं करती। पुलिस में कार्यरत महिलाओं के बीच किए जाने वाले सर्वे  में यह निष्कर्ष निकलता रहता है, कि महिलाएं पुलिस बल में भर्ती होने से इसलिए कतराती है, क्योंकि उन्हें टॉयलेट जैसी मूलभूत सुविधा के अभाव आदि का सामना करना पड़ता है। इसके साथ अन्य कारण भी महिलाओं को पुलिसकर्मी बनने से रोकते हैं। साथ में महिला पुलिसकर्मियों को लैंगिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है। तो अगर राजस्थान के जयपुर से महिलाओं और बालिकाओं को पुलिस प्रशिक्षण देने की शुरुआत आगामी 8 मार्च से हो रहीं है। तो क्यों न सूबे से ही ऐसी अलख निकले जिससे देश भर में पुलिस बल में महिलाओं की संख्या बढ़ाई जा सकें। अगर महिलाओं की संख्या बढ़ेगी, तो महिलाओं के प्रति अपराध भी कम होंगे, साथ में सूबे की आधी आबादी को अपने आप पर घटित आपबीती सुनाने में दिक्कत। तो अगर सारथी अभियान के माध्यम से सीधा संवाद अवाम से स्थापित करवाने का माध्यम लड़कियां बनेगी, तो उनको ज्ञान तो पुलिस भर्ती की बारीकियों का भी मिलना चाहिए, लेकिन अगर सारथी पहल के माध्यम से लाखों लड़कियां औऱ महिलाएं वालेंटियर्स के रूप में पुलिस और लोगों से जुड़ेंगी, तो यह भी सूबे की आधी आबादी के लिए गर्व की बात है। सारथी टीम व इसके संरक्षक दबंग आईपीएस पंकज चौधरी न सिर्फ प्रशंसा के पात्र है बल्कि एक नये युग का आगाज भी करने वाले है

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