मोहनलाल मौर्य
मुझे तो अकेले होली खेलना कतई पसंद नहीं है। मैं घर से अकेला होली खेलने
निकलता हूं तो घर से निकलते ही दबोच लेते हैं। टोली की टोली तैनात जो रहती हैं। गत
वर्ष सीना तानकर होली दंगल में उतरा था। पर जो हाल हुआ था वह मैं ही जानता हूं।
होली दंगल में उतरते ही ऐसी पटकनी दी कि चारों खाने चित आया। रंग-गुलाल से सराबोर
होकर घर आया और आकर आईने में चेहरा देखा तो आईना भी मुझ पर हस रहा था। जो ओर दिनों
खामोश रहता था। आईने से झूठ भी नहीं बोल सकता। उसे सब पता रहता है। वह वहीं बताता
है जो खुद देखता है और आईना ही तो है,जो सच बोलता है। खैर,छोड़ों। होली पर्व ऐसा तो होता आया है। पर जो टोली बनाकर
होली खेलने में मजा आता है वह भला अकेले में कहां आता है? टोली के संग होली का आनंद
होली पर टोली अनायास ही बन जाती है। टोली बनते ही पूरी की पूरी टोली जिस गली
से निकलती है तो अच्छे-अच्छों की रंग-गुलाल फीकी पड़ जाती है। बंदा सोचता रह जाता
है कि किसके रंग-गुलाल लगाऊं और किसके नहीं लगाऊं। वह एक के लगाएंगा तो उस पर
पूरी-पूरी टोली हमला कर देती हैं। इसलिए बचकर निकलना ही मुनासिब समझता है। पर उसका
बचना नामुनासिब है। ट्रैफिक हवलदार से बचकर निकल सकते हैं। पर होली पर टोली से
बचकर निकलना मुमकिन नहीं नामुमकिन है। क्योंकि उसके पीछे ग्यारह मुल्कों की पुलिस
नहीं। बल्कि गली-मोहल्ले के वे लडक़े होते हैं,जो एक साथ टूटकर पड़ते हैं। ऐसा रंगते है कि वह भी टोली में
शामिल हो जाता है।
जब टोली की हुड़दंग और होली की मस्ती मिल-बैठते हैं। तब पिचकारी पिचक जाती है
और काला पेंट परवान चढ़ जाता है। रंग-गुलाल मुंह ताकते रह जाते हैं। सोचते है कि
किसी खूबसूरत लोहे पर जाकर तो मुंह काला नहीं करता। अपुन के पर्व पर आकर अपनी टांग
फंसा देता है,कमबख्त कहीं का। होली पर टोली वालों के सम्मुख कोई समझदारी दिखाता है,तो वे कीचड़ को भी रंग-गुलाल समझकर उसके चेहरे पर पोत देते
हैं। इनका मानना है कि कीचड़ में कमल खिल सकता है तो कीचड़ से होली खेलने में क्या
बुराई है?
जो समझदारी नहीं दिखाता है और हंसी-खुशी से टोली के संग
होली खेलता है,उसे रंग-गुलाल से सराबोर कर देते हैं। फिर उसका चेहरा नहीं,उसके सफेद दंत भी रंग-बिरंगे दिखते हैं।
अबकी बार मैं भी टोली के संग होली दंगल में उतरुगा। इसके लिए चाहे मुझे गठबंधन
क्यों ना करना पड़े? जब राजनैतिक पार्टियां ही चुनावी दंगल में गठबंधन करके उतर
सकती हैं,तो भला मैं क्यूं नहीं होली दंगल में उतर सकता?
देखना मैं भी किसी ना किसी टोली से गठबंधन करके होली पर ऐसा
धमाल मचाऊंगा की सब मेरे रंग में रंग जाएंगे। देखने वाले देखते रह जाएंगे और
रंग-गुलाल लगाने वाले रंग-गुलाल लगाकर चले जाएंगे।
No comments:
Post a Comment