12 Jun 2019

चिलचिलाती धूप में जिंदगी की चकमक


मेरी चलती बाइक के बाएं शीशे पर एकाएक चिलचिलाती धूप की ऐसी चमक पड़ी कि शीशा चटक गया,जिसमें से पीछे सरपट दौड़ते वाहनों को निहारना मुश्किल हो गया। समीप चलते वाहन दूर और दूर चलते समीप दिखने लगे। ट्रक बस दिखने लगी और बस ट्रक दिखने लगा। स्पीड सुई रूठकर अस्सी से चालीस की हो गई,जिसके कारण चलती बाइक पर भी चिलचिलाती धूप आलपीन की तरह चुभने लगी।
हेलमेट का शीशा उठाकर देखने लगा तो आंखें चौंधियाने लगी। बगैर शीशे में देखे बिना बाइक चलाना मौत को बुलाना है। यह सड़क किनारे लगे एक बोर्ड पर लिखा था। सड़क किनारे लगे बोर्डों पर लिखे आदर्श वाक्य को पढ़कर चलने वाले इतनी दूर चले जाते हैं कि कभी वापस नहीं आते और पढ़कर पालन करने वाले यही घूमते-फिरते रहते हैं।
दाएं शीशे को पीछे बैठी प्रेयसी के चेहरे पर सेट कर रखा था ताकि गरमी का एहसास नहीं हो। गरमी हैं कि रत्ती भर भी नरमी नहीं बरत रही थी। वह भी मेरी तरह अपने प्रचंड पथ पर तीव्र गति से चल रही थी। और उसकी प्रेयसी लू तो मेघ की छांव में भी पूरी वेग से चल रही थी। जबकि मेरी प्रेयसी चिपक कर बैठने के बजाय मुँह पर दुपट्टा बांधकर मेरी पीठ में मुँह छुपाए बैठी थी।
बाइक रोककर सड़क किनारे किसी पेड़ की छांव में पांव रखने का मन इसलिए नहीं कर रहा था कि धूप धूम मचाने लग गई थी। और बाएं शीशे ने स्पीड कम कराकर बाइक पर रोमांस का जो मजा था,उस पर साइड नहीं मिलने पर हॉर्न बजाकर आगे निकलने वाले वाहनों ने पानी फेर दिया था। उस समय घर पहुंचकर कूलर की गूलर जैसी हवा खाने की स्पीड पर भी बाइक नहीं चल रही थी और प्रेयसी सीलिंग फैन की स्पीड पर चलाने के लिए बार-बार जोर दे रही थी क्योंकि चिलचिलाती धूप उसे भी अपनी गिरफ्त में ले चुकी थी। उसके माथे पर पसीने की बुंदे मोती की तरह चमकने लगी थी। 
शुक्र है कि शीशा चटकर लटका नहीं। लटक जाता तो नीचे गिरता और नीचे गिरता तो पिछले टायर के नीचे आता और टायर के नीचे आता तो टायर पंचर होता। टायर पंचर हो जाता तो प्रेयसी से ब्रेकअप होना  सुनिश्चित था क्योंकि भरी दुपहरी में वह पैदल  चलती नहीं और मेरे अकेले से पंचर बाइक दो कदम भी नहीं चलती। ऐसी स्थिति में इजहार नहीं तकरार होती। तकरार में ब्रेकअप स्वाभाविक है।

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