प्रेमियों के आदर्श
संत वैलेंटाइन को शत-शत नमन,जिन्होंने प्यार का जश्न मनाने के लिए वर्ष
का एक दिन प्रेमियों के नाम किया। साथ ही रेस्तरां और होटलों को एक दिन अतिरिक्त
रोजगार दिया। गिफ्ट्स और पुष्प विक्रेताओं की आमदनी
में एक सप्ताह के लिए बढ़ोतरी की। इनके लिए यही तो एक ऐसा सप्ताह है,जिसमें उनके लूट-खसोट करने पर कोई प्रतिबंध नहीं। माथापच्ची नहीं। जो
प्राइस बता दी,वही मिल जाती है। क्योंकि सरप्राइज़ गिफ्ट की
प्राइस कम कराना प्यार पर प्रश्नवाचक लगाना है। प्रश्नवाचक लगने का अभिप्राय
ब्रेकअप भी हो सकता है। दमड़ी के चक्कर में ब्रेकअप कोई नहीं चाहता है। इसलिए
प्राइस की जो वॉइस कानों में पड़ी,उसे कर्णप्रिय समझकर तुरंत
भुगतान इस अनुष्ठान का पहला नियम है।
यह विक्रेता वैलेंटाइन
सप्ताह में अपने इष्ट देव की पूजा अर्चना करते हैं या नहीं करते हैं,यह तो इल्म नहीं है। लेकिन संत वैलेंटाइन की तो अवश्य करते होंगे। इसी के
नाम की अगरबत्ती लगाते होंगे। माला जपते होंगे। ‘ संत
वैलेंटाइन महाराज तेरी जय हो’ के उच्चारण से ही उनकी सुबह
शुरू होती होगी।
प्यार में कीमत कीमती
नहीं होती हैं। प्यार कीमती होता है। प्यार पाने के लिए कीमती से कीमती चीज भी
न्योछावर करनी पड़े तो पीछे नहीं हटते हैं,बल्कि उसके लिए यार-दोस्त से
पैसे उधार लेकर समर्पित कर देते हैं। जहाँ त्याग है,वहाँ प्यार है। प्यार में सब कुछ जायज है। अपनी जायदाद भी मांगे तो देने
में कोई बुराई नहीं है। जब दिल दे ही बैठे हैं तो जमीन जायदाद देने में क्या हर्ज
है। बल्कि यह तो प्यार का फर्ज है। जिसको निभाना प्रेमियों का कर्तव्य है। जो अपने
कर्तव्यों को भूल जाता है। उससे उसके अधिकार स्वत:ही ब्रेकअप में रूपांतरण हो जाते
हैं।
लेकिन आजकल ब्रेकअप
होने के बाद दुखों का पहाड़ नहीं टूटता है। बल्कि दूसरे ही दिन किसी और के साथ
प्रेम की पहाड़ी की सैर पर निकल पड़ते हैं। हाँ,जो सॉरी का मैसेज करके,कॉल प्राप्त करने के लिए राजी कर ले और कॉल प्राप्त करते ही रोने का नाटक
कर ले उसका तो ब्रेकअप बच सकता है। अन्यथा नहीं। क्योंकि प्रेमी जुदाई सह लेते हैं,पर रुलाई नहीं। वैसे भी रुदन किसी को भी अच्छा
नहीं लगता है।
वैसे आजकल प्यार करना
जितना आसान है। उतना ही उसके खर्चे उठाना मुश्किल है। आँखें चार
होते ही चार हजार की शॉपिंग तय हो जाती है। भले ही बंदे
के पास भुगतान करने के लिए पॉकेट में मनी नहीं हो और मन मसोसकर गूगल पे या पेटीएम के जरिए भुगतान करना ही पड़े। नहीं किया,तो जो आँखें चार
हुई थी, दो ही रह जाती हैं।
मोबाइल रिचार्ज
करवाना पहली प्राथमिकता होती है। अगर पहली प्राथमिकता को तुरंत प्रभाव से पूरा
नहीं किया,तो प्रेमिका रूठ जाती है। एक बार रूठी,तो रिचार्ज
करवाने के बाद भी नहीं मानेगी। फिर कई दिनों तक मान-मनुहार का दौर चलता है,जो कि भोर से लेकर अर्धरात्रि तक जारी रहता है। यह प्रेम का ऐसा दौर होता
है,जिसमें सोना,बाबू,जानू जैसे प्रियतम शब्दों का सर्वाधिक उपयोग होता है।
संत वैलेंटाइन के
अनुयायी का प्यार या तो परवान चढ़ता नहीं है या चढ़ता है, तो
फिर उतरता नहीं। यह इश्क के सागर में गोते नहीं लगाते हैं,बल्कि
उसमें डूबे रहते हैं। कई बार तो सांस लेना भी भूल जाते हैं। जिससे कईयों की तो
हृदय गति भी रुक जाती है।
No comments:
Post a Comment