14 Feb 2020

जहां धन,वहीं प्रेम


आज वैलेंटाइन डे है। प्रेमियों की जेब ढीली करने का उत्सव हैं। अपनी महबूबा पर जी भर के खर्च करेंगे। जितना खर्चा करेंगे,उतना ही प्यार पाएंगे। क्योंकि आजकल प्यार मन से कम,मनी से ज्यादा होने लगा है। जिसके पास मनी है,वह रेस्तरां एवं होटल में सेलिब्रेट करेगा और जिसके पास मनी नहीं है,वह किसी गार्डन में झाड़ी के पीछे बैठकर प्यार भरी बातें करने की कोशिश करेगा। क्योंकि बीच-बीच में प्रेम विरोधियों को भी देखना पड़ता है। भय रहता कहीं कोई विरोधी आकर दबोच नहीं ले। दबोच लिया तो हाथ साफ करके ही जाएंगा।
पता नहीं इनके हाथों में क्यूँ खुजली चलती है,जो कि वैलेंटाइन डे पर ही मिटती है। मुझे तो लगता है कि यह नित्यकर्म के बाद साबुन से हाथ नहीं धोते होंगे। इसलिए इनके हाथों में खुजली चलती है और यह वैलेंटाइन डे पर अपनी खुजली मिटाने के लिए गार्डन दर गार्डन घूमते फिरते रहते हैं। कोई प्रेमी जोड़ा गिरफ्त में आ गया तो सालभर का कोटा एक ही दिन में पूरा करने की कोशिश में रहते हैं। लेकिन इनको सौगात में जो भाँति-भाँति बददुआएं मिलती हैं। उन्हें पाकर जहन्नुम जाने जैसा महसूस करते होंगे।
अच्छा यह प्रेम विरोधी सिर्फ और सिर्फ वैलेंटाइन डे पर्व पर ही विरोध करते हैं। बाकी दिन चाहे इनके सामने खुलेआम प्यार का इजहार कीजिए। बिल्कुल भी रोक-टोक नहीं करेंगे,बल्कि समर्थन करेंगे। कहेंगे कि लगे रहिए,एक दिन कामयाबी अवश्य मिलेगी। इनमें भी एकाध ही होते हैं जो नेतृत्वकर्ता होते हैं। बाकी तो वैलेंटाइन पर भी दिल से विरोध नहीं करते हैं। जबान से करते हैं। जबान पर दबाव रहता है। अपने दल को सुर्खियों में लाने के लिए विरोध का नाटक रचना पड़ता है। नाटक नहीं रचे तो सुबह अखबार में बांचने के लिए अपना नाम नहीं मिलता है। व्यक्ति नाम के लिए क्या नहीं करता है। विरोध ही नहीं,बल्कि अनुरोध भी करता है। पर ऐसे लोग समय के अनुकूल चलते हैं। जिधर नाम होने लगता है,उधर ही हो लेते हैं। इसलिए ऐसी प्रवृत्ति के लोग इधर-उधर ताक-झांक करते रहते हैं।
ऐसा कदाचित भी नहीं है कि वैलेंटाइन के विरोधी प्यार नहीं करते हैं। यह लोग प्यार तो बहुत करते हैं, मगर दिखावा नहीं करते हैं। बस इनके नयन दूसरों के नैन-मटक्का देख नहीं सकते। जबकि खुद पलके भी नहीं झपकाते हैं। एक बार देखने लग गए तो टकटकी लगाए रहते हैं।
प्रेम के पंछियों को माता-पिता,यार-दोस्त व रिश्तेदार उड़ान के लिए प्रोत्साहित करें या नहीं करें,पर रेस्तरां तथा होटल वाले अवश्य करते होंगे। चूंकि वो अपना कारोबार चलाने के लिए शुभाशीष देने में कभी पीछे नहीं रहते हैं। क्योंकि इनके द्वारा एक बार दिया शुभाशीष न जाने कितनी बार फिर से वापस बुलाता है। जब प्रेमी कस्टमर बार-बार आता है तो कारोबार में बढ़ोतरी होती है। बढ़ोतरी होती है तो बढ़ावा देने में इनके होटल से क्या जा रहा है। थोड़ी-सी चीनी और सूप। जिनके बदले में प्रेम और धन आ रहा है। अधुनातन में जहाँ धन है,वहाँ प्रेम है। जहाँ पर धन और प्रेम हैं,वहाँ पर रतन तो दौड़कर चला आता है। रतन आने के बाद होटल में जाना स्वाभाविक है।


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