गुड्डू
गड़े मुर्दे उखाड़ने में पीएचडी है। आए दिन
किसी ना किसी के उखाड़ता रहता है और सुर्खियों में बना रहता है। उसे सुर्ख़ियों से
उतना ही प्यार है। जितना हीर-रांझा और लैला-मजनू को था। सुर्खियों में बने रहने के लिए सौ साल पुरांने को भी नहीं छोड़ता है। उसे भी उखाड़कर उछाल देता है। पुराने से पुराने का
उछाल उसी तरह से उछलता है।
जिस तरह से शेयर बाजार का सेंसेक्स उछलता है। क्या है कि नए गड़े मुर्दे उखाड़ने
पर उतनी टीआरपी नहीं मिलती
है। जितनी पुराने को उखाड़ने पर मिलती है।
अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए,गुड्डू नित्य नयों के बजाय पुराने से पुराने गड़े मुर्दे खोजता रहता
हैं। जैसे ही हाथ लगा फेसबुक पर लाइव आकर उछालने लग जाता है। लाइव के दौरान बीच-बीच में शेयर
करने की अपील अवश्य करता रहता है। ताकि उखाड़े गए मुर्दे से ज्यादा से ज्यादा लोग
वाकिफ हो सके और अच्छी खासी टीआरपी मिलती रहे। क्या है
कि फेसबुक लाइव की जितनी ज्यादा शेयर होती है। उतनी ही ज्यादा कमेंट्स बॉक्स में डिबेट चल रही होती है। मगर
यहाँ पर टीवी की तरह डिबेट नहीं होती है। एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर डिबेट पूरी कर ली। यहाँ पर तो बहुत तीखी नोकझोंक होती है। विचारों की तलवारे
तन जाती हैं। ज्ञान बांटने
की होड़ लग जाती है। अज्ञानी भी ज्ञान बांटकर वाहवाही लूट लेता है।अमर्यादित भाषा पर कोई प्रतिबंध नहीं
होता है। गाली-गलौज देने की पूरी छूट होती है। जरूरी
नहीं सवाल का जवाब ही मिले। जवाब के बदले में गाली भी
मिल सकती है।
गुड्डू गड़े मुर्दों पर इतना
शोध करता रहता है कि उसके व्हाट्सएप पर भी किसी ना किसी उखाड़े
मुर्दे के छायाचित्र की ही डीपी लगी हुई होती है। उसका लक्ष्य हैं,गड़े मुर्दे उखाड़ने का वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम
करना। इसके लिए चाहे अपनों
के ही क्यूँ नहीं उखाड़ने पड़े। उन्हें भी जड़ से उखाड़कर,उन्हें
पछाड़ देगा,जो इस प्रतिस्पर्धा
में है। मगर अभी तो दूसरों के ही बहुत से केस पेंडिंग
पड़े हैं। उनको उखाड़ने के लिए समय नहीं है। क्या है कि गुड्डू ऐरे-गैरे,नत्थू-खैरे गड़े मुर्दे नहीं उखाड़ता है। उनको उखाड़ता है,जो चर्चा का विषय बने। जिनके जरिए खुद बिना प्रचारित ही चर्चित हो जाए।
आपको यकीन नहीं होगा,उसकी फेसबुक वॉल एक से बढ़कर एक गड़े मुर्दों
की पोस्ट से भरी पड़ी है। जिन्हें देखकर कोई चकित रह जाता है तो कोई कुपित हो जाता है। मगर यूट्यूब पर तो ऐसे-ऐसे मुर्दे अपलोड किए
हुई है। जिन्हें देखकर हर कोई अवाक रह जाता है। इंस्टाग्राम पर तो ऐसी-ऐसी मुँह बोलती फोटो अपलोड करता है। जिन्हें देखकर आँखें फटी की फटी रह जाती है। उसके टि्वटर पर लिखे को पढ़कर, वह व्यक्ति
अवश्य सतर्क हो जाता है। जिसको हमेशा यह भय रहता है कि कहीं कभी अपने गड़े मुर्दे
नहीं उखाड़ दे।
यह कोई भी नहीं चाहता है कि कोई
उनके गडे़ मुर्दे उखाड़े। क्योंकि उखड़ने के बाद फिर से नया गड्ढा खोदकर दबाना
पूर्व की भाँति जितना आसान नहीं है। गुपचुप में गड्ढा खोदकर दबा दिया और किसी को
कानों कान खबर ही नहीं लगी। उखड़ने के तत्पश्चात दबाना तो दूर,उखड़े हुए को सँभालना ही बहुत मुश्किल
हो जाता है। क्योंकि उस समय उनके सामाजिक वातावरण में
लोक निंदा की हवा घुली हुई होती। जिसमें श्वास लेना भी दुश्वार होता है। ऐसी
स्थिति अपने आप को संभाले या फिर उखाड़े गए को संभाले।
दरअसल में गड़े मुर्दे उखाड़ना भी आसान नहीं है। बहुत ही जोखिमपूर्ण है। थोड़ी सी लापरवाही के कारण वाहवाही की जगह हाय-हाय में परिवर्तन होते देर नहीं लगती है। सावधानीपूर्वक होकर उखाड़ना होता है। ताकि परिजनों को बुरा नहीं लगे। फिर भी कई बार उन्हें इतना बुरा लगता है कि वे खुद उखड़ जाते हैं। उस समय उन्हें सँभालना बहुत मुश्किल हो जाता है। कई बार तो कहासुनी होकर रह जाती है और कई बार मरने-मारने पर उतारू हो जाते हैं। लेकिन गुड्डू तो गड़े मुर्दे उखाड़ने में पीएचडी है न इसलिए हर बार बच निकलता है।vyangyalekh
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