15 Dec 2016

लक्ष्‍मी एक जगह कहां टिकी है ?


एक हजार  500 का नोट नोट नहीं। उनका अन्नदाता था। जो आठ तारीख को चल बसा। प्रधान सेवक कि लीला है,जो बैंक के ग्रास में समा गए। इन दोनों के जाने से इनके परिवार में सन्नाटा छाया हुआ।10,20,50,100 रूपए की स्थिति दयनीय हो गई। यह भी क्या करें नियति का  फैसला तो सिर छुकाकर स्वीकार करना ही पड़ता है। विधि का विधान व नियति के निर्णय से भला कोई बचा है,जो यह बचते। इन्होंने जो त्याग व बलिदान किया है। वह स्मरणीय रहेगा।

पर 1000  5000 की आत्मा को चिर शान्ति तबी मिलेगी। जब इनकी बिरादरी के वे नोट,जो तिजोरी,अलमारी में बंद हैं और वे बैंकलोक तक नहीं पहुंचे हैं। उनकी आत्मा भटक सकती हैं। वे भूत पिशाच बन सकते हैं। फिर यह उन्हीं पर मंडराएंगे। जिन्होंने बैंकलोक नहीं पहुंचाया। पड़ोसी वर्माजी के पास भी एक दशक से 1000 जाति का 786 नामक नोट रखा था। आपातकाल में भी उपयोग नहीं किया। वर्माजी का बाप मरा,तब 1000रूपए की सक्त आवश्यकता थी। पर,वर्माजी ने पूजाघर से बाहर नहीं निकाला। वर्माजी बताते है कि 786 का नोट शुभदायक रहता है। लेकिन आठ तारीख को यहीं शुभदायक नोट दुखदायकता में बदल गया। वर्माजी दुखद तो हुए, पर,उन्होंने पूरे अदब से बैंकलोक पहुंचाया,ताकि उसकी आत्मा को चिर शान्ति मिले। कोई कालाधन कहकर बदनाम नहीं करें। अगर उसे शांति नहीं मिलेगी,तो पता नहीं उसकी आत्‍मा कहां कहां भटकेगी और किस किस को परेशान करेगी । क्‍या पता नए वाले गुलाबी नोट पर ही जा चढ़े।
सृष्टि का नियम है। जो जहां से आया है, वह वहीं जाएंगा। फिर इतना कोलाहल क्योंकतार में हुज्जत क्योंइनके जाने के गम में वे दुखी क्योंलगता है ये लक्ष्मी के परम भक्त है। पर इन भक्तों को कौन बताए कि लक्ष्मी तो चंचल है। एक जगह कहां टिकती है। कभी यहां तो कभी वहां। तिजोरी,अलमारी में इसका भी दम घुटता है। अगरबत्ती की सुवास से इसके नुथने फूल जाते हैं।

तू सोच मत। तर्क-वितर्क मत कर। जा और जाकर लाइन में लग। इनदिनों वहां लक्ष्मी के दशर्न ही नहीं हो रहे, बल्कि ज्ञानदेवी भी अपना ज्ञान प्रवाह कर रही है।  तू भी अपना ज्ञान आदान-प्रदान कर और ज्ञानदेवी का परम भक्त होने का अहसास करा। हो सकता हैतेरे ज्ञान प्रवाह से किसी के ज्ञान चक्षु खुल जाए। तेरा नम्बर उससे पहले आ जाए। एटीएम देव की कृपा हो जाए। यहां कुछ नहीं है,जो है वह लाइन में है। हो सकता बचपन में पिछड़ा,तेरा मित्र ही मिल जाए। सोनम गुप्ता बेवफा है’ वह लडक़ी ही दिख जाए। अब तू यहीं बक-बक करता रहेगा या फिर जाकर लाइन में भी लगेगा। अब ओर विलंब मत कर। जाकर लाइन में लग जा। लाइन में तुझे जो सुकून मिलेगा, वह किसी धार्मिक स्‍थल पर जाने से भी नहीं मिलेगा। जा सुख का आनंद ले।

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