बाबा के अनुयायी
बाबा की कहानी सुनाते हैं। जिसके कहानी समझ में आ गई वह बाबा का अनुयायी हो गया और
जिसके समझ में नहीं आई वह सोचने पर मजबूर हो गया। कहानी जो मजबूर हो गया समझों वह भी एक
दिन बाबा का अनुयायी बन गया और अनुयायी बनने के बाद फिर वह भी बाबा की कहानी
सुनाता है और एक नया अनुयायी बनाता है। जो नया-नया अनुयायी बनता है और बाबा के
आश्रम में पहुंचता है वह बाबा के दर्शन करके अपने आपको धन्य समझता है। उसे लगता है
जैसे साक्षात भगवान के दर्शन हो गए। बस,उसी दिन से बाबा को भगवान मान बैठता है और बाबा भी अपने आपको भगवान समझ बैठता
है।
कहते है कि पैसा
भगवान तो नहीं है,लेकिन भगवान से कम भी नहीं
है और बाबा के पास तो करोड़ों हैं। करोड़ों ही अनुयायी हैं। जिसके पास करोडों में
पैसा और अनुयायी हो वह अपने आपको भगवान तो समझेगा ही। किंतु अनुयायी कहानी में यह
सब नहीं सुनाता है। कहानी में तो कल्याण और कल्याण से जुड़ी कल्याणी होती है।
कल्याण आश्रम में और कल्याणी का कल्याण गुफा में होता है। जहां बाबा होता है और
कल्याणी होती है। उस वक्त बाबा राजा और कल्याणी बाबा की रानी होती है। क्योंकि
गुफा किसी राजमहल से कम नहीं है। बल्कि ज्यादा ही है। गुफा राजमहल में कल्याणी
रानी जबरन बनती है या फिर किसी जादू-टोने से सम्मोहित होती है यह तो बाबा ही जानता
है। कहानी
बाबा का चरित्र
कहानी में विचित्र होता है। लेकिन कहानी में यह तब आता है जब अनुयायी नहीं,मीडिया सुना रहा होता है। क्योंकि अनुयायी तो वहीं सुनाती है,जो बाबा बताता है और हकीकत मीडिया सामने लाता है। जब बाबा की पोल खुलती है और
बाबा गिरफ्त में होता है। तब ना बाबा के अनुयायी बाबा को बचाने के लिए आश्रम पहुंच
जाते हैं। तोड़फोड़ करते हैं। वाहन फूंकते हैं। क्षति पहुंचाते हैं। खुद भी
क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। फिर उनकी क्षतिपूर्ति अस्पताल में होती है और जिनकी
अस्पताल में नहीं होती उनकी श्मशान में होती है। उनसे पूछते है तो कहते हैं कि यह
तो बाबा को फंसाने का षड्यंत्र है। उन्हें यकीन नहीं होता। यकीन हो भी कैसे? भक्त होते तो यकीन कर लेते पर वे ठहरे अंधे भक्त। अंधे भक्त तो बाबा के
वक्तव्य पर ही यकीन करते हैं। मुझे तो लगता है इन्हें यकीन तब भी नहीं हुआ होगा।
जब बाबा आश्रम से जेल पहुंच गए। खैर,बीस साल की सजा हुई है,इत्ते दिनों में यकीन हो ही जाएंगा।
लेकिन फिर कोई ऐसा
बाबा पैदा हो जाएंगा। क्योंकि भारत तो बाबा प्रधान देश है। जिसमें एक जेल जाता है
और दूसरा आता है। इनका क्या जाता है। लूट तो भोली भाली जनता जाती है। जो बाबा के
अनुयायी से उसकी कहानी सुनकर ही बाबा के आश्रम पहंच जाती हैं। वहां जनता की अस्मत
फिर लूट ली जाएंगी,वह लाज शर्म के मारी अपनी कहानी बंया नहीं कर पाती है। ऐसे में
बाबाओं का हौंसला बढ़ जाता हैं। जबकि बाबाओं को वहीं पर सबक सीखाना चाहे।
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