23 Jan 2019

गुमशुदा हँसी और चिंता का सबब


अंशु की लाइफ में जब से एंड्राइड मोबाइल ने एंट्री की है,उसके होंठों की शोभा बढ़ाने वाली हँसी गायब है। रूठकर चल गई है या भाग गई है या अपरहण हो गया है,इसका तो पता नहीं,लेकिन उसके ओष्ठ गुमसुम हैं। हँसी के बिना अकेलापन महसूस कर रहे हैं। उसके के संगी दंत भी खुलकर खिलखिला नहीं रहे हैं। बस मुँह के अंदर ही थोड़ी बहुत ठिठोली कर लेते हैं। आँखों को मोबाइल से इश्क हो गया है। वे दिन-रात मोबाइल के ख्वाबों में ही खोई रहती हैं। बेचारा चेहरा आँखों की पहरेदारी में लगा है। डर है कि कहीं आँखें मोबाइल के साथ भाग न जाए। भाग गई तो दृष्टिहीन हो जाऊंगा।

जब से हँसी गायब हुई है। खुशी भी खुश नहीं है। मज़ाक भी मज़ाक नहीं कर पा रहा है। दोनों हँसी के बिना उदास बैठे हैं। दोनों हँसी के साथ जन्म जन्मांतर से साथ थे। गायब होते ही कुंभ के मेले की तरह बिछड़ गए हैं। ऐसे लगने लगा है कि हँसी के साथ हँसी-खुशी तथा हँसी-मजाक का जो मेल था। वह बेमेल हो गया है। हँसी लौटकर नहीं आई तो कहीं खुशी और मजाक का खेल ही खत्म ना हो जाए। अगर ऐसा हो गया तो उदासी कब्जा जमा लेगी। एक बार कब्जा जमा लिया तो हँसी को लौटने के बाद भी नहीं पनपने देगी।

जब मोबाइल नहीं था,होठों पर मुस्कान बिखरी ही रहती थी। समेटने से भी समेटने में नहीं आती थी। दांत तो इस तरह खिलखिलाते थे कि पेट में से आँतें बार निकल को उछल पड़ती थी। होठों पर हँसी देखकर, दिल दे बैठते थे। दीवाने हुए फिरते थे। एक झलक देखने के लिए टकटकी लगाए बैठे रहते थे। थोड़ा सा भी मुस्कुरा देती थी तो समझते थे कि हँसी तो फँसी। लेकिन हँसी के गायब होने के बाद चेहरा भी देखना हो, तो पहले उसके मोबाइल से मुखातिब होना पड़ता है, क्‍योंकि वही है,जो चेहरे के सामने हमेशा तना रहता है।

इस बात से अंशु के घरवाले बेखबर हैं। वे भी मोबाइल में समाए हुए हैं। पिताजी व्हाट्सएप पर तो माताजी फेसबुक पर छाई हुई है। भाई-बहन इंस्टाग्राम में फंसे हुए हैं। लेकिन उनकी भी हँसी गायब हैं। यहाँ तक कि पड़ोसियों की भी गायब हैं। दोस्‍तों की भी गायब है और हमें तो कोई ऐसा मिला ही नहीं,जिसकी नहीं गायब हो। हँसी इसी तरह से गायब होती रही तो एक दिन हँसी के साम्राज्य का अवसान हो जाएगा। यह चिंता का विषय है। मगर चिंतित कोई नहीं है। सबके सब मोबाइल में उलझे हुए हैं। 

गुप्त सूत्रों से पता चला है कि अंशु की हँसी को उसी के मोबाइल ने किडनैप किया है। किडनैप क्यों किया है? प्रश्न पूछने पर सूत्रों ने बताया कि अंशु दिन-रात मोबाइल में जुटा रहता था,यह मोबाइल के बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने उसके बजाए उसकी हँसी को किडनैप कर लिया। फिरौती इसलिए नहीं मांग रहा कि वह भी उसके अंगूठे तले दबा है। मुझे तो ऐसा लगता है कि अंशु अंगूठे तले से मोबाइल को कभी उन्मुक्त करेगा नहीं और मोबाइल भी उसकी हँसी को कभी छोड़ेगा नहीं। लेकिन अंशु को तो पता ही नहीं है कि हँसी गायब हो गई है। अंशु ही क्‍यों,हममें से किसी को भी तो नहीं पता खैर,आज नहीं तो कल पता लग ही जाएगा।

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