19 May 2017

घड़ी वाले का बच्चा 95.60 अंक लाया

सच्ची लगन से मेहनत की जाए तो सफलता को भी मोहताज होना पड़ता है। फिर चाहे कैसी भी मुसीबत क्यों ना आ जाए। सफलता स्थापित होकर ही रहती है। उक्त उक्ति को चरितार्थ किया है। अलवर जिले के थानागाजी तहसील के डहरा गांव के कमलेश खटुम्बरिया पुत्र श्री रामवतार खटुम्बरिया ने। इसने राजस्थान बोर्ड अजमेर के आए 12 वीं विज्ञान वर्ग के परिणाम में 95.60 अंक अर्जित किए है। कमलेश ने बताया कि मैं छ:-सात घंटे नियमित अध्ययन करता था। एक बार पढ़ने बैठ जाता था तो तीन-चार घंटों से पहले नहीं उठता था। मैं और मेरी बहिन व मेरे ताऊजी का लड़का,हम तीनों एक ही कमरे में अध्ययन करते थे। पढ़ाई के दौरान कोई किसी से वार्तालाप नहीं करता था। किसी को कुछ पूछना होता था तब ही मुंह खोलते थे। हम तीनों भाई-बहिन थानागाजी में स्थिति ज्योति एकेडमी में पढ़ते थे।
कैसे होता था दिनचर्या की आविर्भाव
कमलेश ने बताया कि हम तीनों भाई-बहिन सुबह चार बजे उठते थे। उसके बाद नित्‍य कार्य करके थोड़ी बहुत देर व्‍यायाम करते थे। उसके बाद नाश्‍ता करके पढ़ने बैठ जाते थे। स्‍कूल से लौटकर शाम को स्‍कूल का होम वर्क करते थे। रात को दस बजे तक पढ़ते थे। परीक्षा के दौरान देर रात तक पढ़ाई करते थे।
ताऊजी के घर पढ़ाई करता था

कमलेश विराटनगर में स्थिति अपने ताऊजी हरिराम रैगर के घर पर रहकर पढ़ाई करता था। आपको बताते दे कि कमलेश उसी पुष्पराज भारती का चचेरा भाई है,जिसने विज्ञान वर्ग में 98.00 प्रतिशत अंक अर्जित किए है। कमलेश की बहिन प्रिती खटुम्बरियां भी इनके साथ ही पढ़ती थी। उसने भी 12 वीं विज्ञान वर्ग में 84 प्रतिशत अंक अर्जित किए है। कमलेश के ताऊजी हरिराम ने बताया कि तीनों बच्चे शुरू से पढ़ने में अव्वल रहे हैं।
किक्रेट व पेंटिग का शौक
कमलेश को पढ़ाई के अलावा किक्रेट खेलना और पेंटिग बनाना अच्छा लगता है। किंतु पहले पढ़ाई उसके उपरांत समय मिलता था तो कभी-कभार पेंटिग या किक्रेट खेल लेते थे। अन्यथा फोक्स पढ़ाई पर ही होता था। कमलेश ने बताया कि हम तीनों भाई-बहिनों का एक ही मकसद था। उच्च अंक अर्जित करना। जिसमें हम कामयाब ही हुए।
पिता की घड़ी दुकान
कमलेश के पिताजी की विराटनगर कस्बे में घड़ी की दुकान है। इसी से उनके घर की आजीविका चलती है। मां कविता देवी ग्रहणी है। कमलेश के पिताजी ने बताया कि कमलेश शुरू से पढ़ाई में अव्वल रहा है। उसने दसवीं में भी 93.33 अर्जित किए थे। और इस बार उसने हिंदी में 99 में अंग्रेजी में 96 फिजिक्‍स में,90 केमिस्‍ट्री में 97, मैथ्‍स में 96 एवं कुल 500 में से 478 अंक अर्जित कर 95.60 प्रतिशत लाए है।
                                                भविष्य में आईएएस बनना

पुष्पराज भारती की तरह ही कमलेश का भी भविष्य में आईएएस बनने का सपना है। कमलेश ने बताया कि मैं आईएएस बनकर गरीब,असहाय लोगों की मदद करना चाहता हूं। प्रतिस्पर्धा के दौर में किस तरह से पढ़ाई करनी चाहिए। मैंने कमलेश से यह प्रश्र किया तो उसने उत्तर दिया- प्रतिस्पर्धा की परवाह न करके सच्ची लगन और मेहनत से अध्ययन करते रहे। सफलता अपने आप आपके कदम चूमेगी।
सफलता का श्रेय ताऊजी व माता-पिता को
कमलेश ने अपनी सफलता का श्रेय अपने दादा बाबूलाल रैगर दादी विद्या देवी,ताऊजी-ताईजी,सहित पूरे परिवार जनों व स्कूल के अध्यापकों को दिया।

No comments: