इन दिनों गरमी जमकर कहर बरसा रही है। टेंपरेचर अपने पुराने रिकॉर्ड तोड़ने पर तुला हुआ है। धूप सुबह से ही चुभन भरी धूम मचाने लग रही है। लू मेघ की छांव में भी पूरे वेग से चल रही है। पेड़-पौधे झुलसकर औंधे मुंह हुए पड़े हैं। इनकी छांव में पांव रखने का भी मन नहीं कर रहा है। टहनियां इतनी गरम हो रही हैं कि बेजुबान पक्षी उन पर बैठ नहीं पा रहे हैं। श्वानों की जीभ अंदर नहीं जा रही है। बाहर ही लटकी हुई लार टपका रही है। इस वजह से वो भौंक भी नहीं पा रहे हैं। हांफ रहे हैं। इनकी हांफ का चोर फायदा उठा रहे हैं। श्वान बाहुल्य क्षेत्र में भी चोरी करते हुए नहीं डर रहे हैं।
कल तक जोर-जोर से चिल्लाने वाले भी चिलचिलाती धूप के आगे चुप बैठे हुए हैं। उन्हें पता है कि चिलाएंगे तो गला सूखेगा। गला सूखेगा तो प्यास लगेगी। प्यास बुझाने के लिए,मटकेेेे तक जाना पड़ेगा। मटका है कि खाली पड़ा हैैं। फ्रिज में बोतल रखी है। लेकिन बिजली मनचली हो रही है। कब आ जाए और कब चल जाए कोई पता नहीं। इसलिए कोल्ड ड्रिंक की ढाई लीटर की बोतल पर बोरी की टांट बांधकर,उसमें पानी भरकर अपनेे सिरहाने रखे हुए हैं। एक घंटे में एक घूंट पीकर फिर वापस रख देते हैं। ताकि बोतल खाली नहीं हो जाए।
लेकिन पक्षियों को कोसों दूर उड़ान भरने के बावजूद भी दो बूंद पीने को पानी नहीं मिल रहा हैं। सूखी पड़ी टोंटियों में अपनी चोंच मार-मारकर चेक कर रहे हैं। इस चक्कर में कईयों की तो चोंच के मोच आ गई है। फिर भी हौसला बुलंद है। हतोत्साहित न होकर, अपनी प्यास बुझाने के लिए
यहां से वहां उड़ान भर रहे हैं। एक हम हैं,जो गरमी से जरा सा भी मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं।गरमी को देखते ही सिर पर पांव रखकर सीलिंग फैन के नीचे आराम फरमाने में मशगूल हैं। लेकिन इन दिनों गरमी के आगे सीलिंग फैन भी फेल है। कूलर भी गूलर की हवा खानेेे निकल गया है और पीछे गर्म हवा छोड़ गया है।
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